पॉलिटिकल डेस्क/Naib Singh Saini: हरियाणा सरकार में खेला हो गया है। खट्टर सरकार का जेपीपी से गठबंधन टूटने के बाद राज्य के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने पूरे कैबिनेट के साथ ही इस्तीफा दे दिया है। इसके चार घंटे बाद हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया और छह निर्दलीय विधायकाें के समयाेग से नायब सिंह सैनी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सीएम पद की शपथ दीलायी।
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में अभी भाजपा के 41 विधायक है। बिना जननायक जनता पार्टी के समर्थन के भाजपा ने छह 6 निर्दलीय विधायकों को लेकर कुल 47 विधायकों से साथ सरकार बनायी। इस दाैरान जेपी दलाल को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है। मनोहर सरकार में वह कृषि मंत्री थे। वहीं बनवारी लाल ने भी मंत्री पद की शपथ ली वे पिछली सरकार में सहकारिता मंत्री थे। नई सरकार में पिछली सरकार के 5 मंत्रियाें ने शपथ ली है।
Naib Singh Saini : निर्दलीय विधायकों ने समर्थन पत्र सौंपा
जेपीपी से गठबंधन टूटने के बाद सीएम ने अपने आवास पर भाजपा और निर्दलीय विधायकों की साथ बैठक की, और जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। वहीं जेपीपी के साथ विधायकों के पाला बदलने की भी खबरें आ रही है। ऐसा हुआ तो सात विधायक भी पाला बदलकर भाजपा को समर्थन दे सकते हैं। सभी निर्दलीय विधायकों ने समर्थन के पत्र लिये गये है, जिसे राजभवन को सौंप दिया गया है।
कौन है Naib Singh Saini :
नायाब सिंह सैनी भाजपा के बड़े नेता हैं। वहीं अभी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद है। इसके साथ भाजपा प्रदेश की कमान भी उन्हीं के हाथों में है। सीएम पद की शपथ लेने से पहले उन्हें अपनी सांसदी से इस्तीफा देना होगा। सैनी को सीएम बनाने का फैसला आलाकमान का है। दरअसल आलाकमान प्रदेश में बदलाव लाना चाह रही थी। जिसको लेकर भी नायाब सिंह को सीएम बनाया जा रहा है।
लोकसभा सीट को लेकर हुई टूटा गठबंधन :
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें है। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला दो सीटें लोकसभा की मांग रहे है। इसे लेकर दोनों में पार्टियों में खिंचतान चल रहा है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी। वहीं 2019 में भाजपा ने अकेले चुनाव लड़कर 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।
फिर भी भाजपा एक सीट ही जेपीपी को देना चाह रही है। लेकिन जीपीपी दो सीटों पर अड़े हुए है। जिसके कारण दोनों पार्टियों का गठबंधन टूटा है। वहीं खट्टर सरकार के इस्तीफे के बाद विधायकों की खरीद बिक्री के डर से जेपीपी और कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को दिल्ली बुला लिया है।
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