खुशियों के फूल बांटने आई EID
चाहत की घटा आज हर एक सिम्त छाई है।
हर दिल में आज शम्मा ए उल्फत जलाई है।
नफरत हर एक दिल से मिटाने के वास्ते
खुशियों के फूल बांटने ये ईद आई है।
की जे चराग़आँ जश्ने मोसररत मनाइए
नफरत की हर दीवार को मिलकर गिराइए।
पैग़ाम दे रही है यही ईद, दोस्तों
दुश्मन को भी गले से अब अपने लगाइए।
– मंजूर आलम साबरी, सूफी गायक, जमशेदपुर