सेंट्रल डेस्क: दीपावली आ रहा है और धनतेरस का भी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान कई लोग नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं। नई कार खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि बाद में कोई परेशानी न हो।
अगर आप नई कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं या बुकिंग के बाद शोरूम से उसकी डिलीवरी ले रहे हैं, तो कुछ सावधानी रखना जरूरी है, नहीं तो नई कार भी सिरदर्द बन सकती है।
कार खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान रखें
अपनी आवश्यकताओं को समझें
सबसे पहले अपनी आवश्यकताओं को समझें। आपको कितने लोगों के एडजस्ट होने वाली कार चाहिए? आपको कितनी जगह चाहिए? आपको कार का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए करना है?
कार की रिसर्च करें
अपनी आवश्यकताओं को समझने के बाद कार की रिसर्च करें। विभिन्न ब्रांडों और मॉडलों की तुलना करें। कार की विशेषताओं और सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
कार की टेस्ट ड्राइव करें
कार की रिसर्च करने के बाद टेस्ट ड्राइव करें। कार की ड्राइविंग, फीचर्स और सुविधाओं का अनुभव करें।
प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करवाएं
कार खरीदने से पहले प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करवाएं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कार की पूरी जांच की जाती है। इस जांच में कार के बाहरी और आंतरिक हिस्सों की जांच की जाती है।
क्या होता है PDI?
PDI यानी प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन। यह एक प्रोसेस है, जिसमें कार की डिलीवरी से पहले इंस्पेक्शन फैसिलिटी मिलती है। इसमें कार के इंटीरियर, एक्सटीरियर, इंजन और सभी फीचर्स को चेक किया जाता है कि वे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। PDI दो तरीके से किया जाता है। पहला जिसमें डीलर खुद PDI करता है।
पूरी तरह से चेक करने के बाद कार पर PDI बैज लगा दिया जाता है, जिससे पता चलता है कि कार डिलीवरी के लिए तैयार है। इसके अलावा डीलर से कार की डिलीवरी लेने से पहले कस्टमर भी खुद कार की PDI कर सकता है और अपने लेवल पर हर एक चीज को चेक कर सकता है।
क्यों जरूरी है प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन?
PDI करने से कार में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर उसका पता चल सकता है। दरअसल, डीलर को पहले पता होता है कि किसी कार में क्या प्रोब्लम है और कस्टमर से उसे किस तरह छुपाना है।
इसलिए गाड़ी आपके नाम पर रजिस्टर होने से पहले ही PDI करें। PDI हमेशा अच्छी रोशनी वाली जगह पर करें, खासतौर पर सूरज की रोशनी में ही PDI करें।
ऐसे करें प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन
सबसे पहले एक चेक लिस्ट बनाएं। इस लिस्ट में कार में चेक किए जाने वाले एक-एक प्वाइंट को नोट कर लें जैसे- इंजन, एक्सटीरियर, इंटीरियर, टायर, फीचर्स, कार का पेंट आदि।
इस लिस्ट का फायदा ये होगा कि कोई भी चीज छूटेगी नहीं। कार के चारों ओर घूमकर देखें कि इसमें कोई स्क्रेच या डेंट तो नहीं है। खासकर बंपर और कार के किनारों पर जरूर ध्यान दें।
छोटे-मोटे स्क्रेच को छुपाने के लिए डीलर कार को पॉलिश कर देते हैं। एक-दो बार वॉशिंग के बाद ये स्क्रेच दिखने लगते हैं। इसके लिए कार की पूरी बॉडी पर हाथ फेर कर देखें। इससे डेंट या स्क्रेच होगा तो पकड़ में आ जाएगा।
कार के सभी कॉर्नर जैसे- डोर के किनारे और पैनल गैप, विंडो के चारों ओर के किनारे और फ्रंट बंपर को ठीक से देखें। जब कोई कार लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो टायर फ्लैट हो जाते हैं।
नई कार के टायर भी कटे-फटे हो सकते हैं। चारों टायर की जांच करें, रिम और एलॉय व्हील को भी देखें। स्टेपनी को ठीक से देखें, जैक और अन्य टूल्स भी चेक करें।
इंटीरियर चेक करें
कार के अंदर डैशबोर्ड, अपहोल्स्ट्री, सीट और ग्लोवबॉक्स की ठीक से जांच करें। फ्लोर की मैट हटा दें और चेक करें कि क्या कारपेट में नमी या कोई गंदगी तो नहीं है।
कार के सभी मिरर भी चेक कर लें कि कहीं इसमें कोई क्रैक या खरोंच तो नहीं है। कार के सभी स्विच की जांच करें। यह देख लें कि ये सही से काम कर रहे हैं या नहीं। एयर कंडीशनर (AC) चालू करें और चेक करें कि केबिन जल्दी ठंडा होता है या नहीं।
इंजन, ओडोमीटर और फ्यूल की जांच
कार का बोनट खोलें और इसके फ्लूइड लेवल्स की जांच करें। इंजन ऑयल, कूलेंट, ब्रेक फ्लूइड और विंडस्क्रीन वाशिंग फ्लूइड भरा होना चाहिए। इंजन स्टार्ट करें और थोड़ी देर चालू रहने दें। बोनट के नीचे देखें कि कोई लीकेज तो नहीं हैं या कोई असामान्य आवाज या कंपन सुनाई दे रही है।
इसके अलावा एक्सिलरेटर पैडल पर पैर रखकर दो तीन बार एक्सिलरेट करके इंजन की आवाज सुनें। इंजन से काला धुआं तो नहीं निकल रहा। नई कार की ओडोमीटर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
अगर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा है, तो इस बारे में डीलर से बात करें। डीलर ग्राहकों को 5 लीटर कॉम्प्लिमेंट्री फ्यूल देते हैं। फ्यूल ‘लेवल चेक करें और देखें कि नजदीकी फ्यूल स्टेशन तक पहुंचने जितना फ्यूल है या नहीं।
कार के डॉक्युमेंट्स
कार के सभी पेपर्स जैसे- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस कवर, मैन्युअल्स, वारंटी कार्ड, रोडसाइड असिस्टेंस नंबर और सर्विस बुक चेक करें। डीलर से ‘फॉर्म 22’ लेकर जरूर चेक करें, इसमें कार का इंजन नंबर, चेसिस नंबर और कार मैन्युफैक्चरिंग के महीने और साल की जानकारी होती है।
चेक करें कि कार का व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN), इंजन नंबर और चेसिस नंबर डीलर द्वारा दिए डॉक्युमेंट्स से मेल खाता है या नहीं।