रांची : झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित राष्ट्रीय पेसा दिवस पर एक दिवसीय कार्यशाला में पेसा कानून को जल्द लागू करने की मांग उठी। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने दीप जलाकर किया। कार्यशाला में राज्यभर से आए ग्राम प्रधानों ने एकजुट होकर यह आग्रह किया कि झारखंड में पेसा कानून को शीघ्र लागू किया जाना चाहिए।
पेसा कानून का महत्व
कार्यशाला को संबोधित करते हुए विवेक भारद्वाज ने कहा कि पेसा अधिनियम जनजातीय समुदायों को जल, जंगल और जमीन के प्रबंधन में अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने झारखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने पेसा के विषय पर एक लोकगीत तैयार किया है, जो इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है। इसके अलावा, उन्होंने झारखंड सरकार को 26 जनवरी के ग्राम पंचायत बैठकों में प्रत्येक गांव की जनजातीय परंपराओं को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव दिया। इस पहल में केंद्र सरकार पूरा सहयोग प्रदान करने के लिए तैयार है।
सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं का संरक्षण
विवेक भारद्वाज ने यह भी सुझाव दिया कि 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में इन परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए और इसे मान्यता दी जाए। इस प्रयास से जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना संभव होगा। उन्होंने झारखंड से इस पहल की शुरुआत करने का आह्वान किया, जिसे बाद में अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जा सकता है।
पेसा कानून लागू नहीं होने से क्या है नुकसान
कार्यशाला के दौरान पेसा अधिनियम के प्रावधानों और इसके प्रभावी क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई। विशेषज्ञों और ग्राम प्रधानों ने कहा कि पेसा कानून के लागू न होने के कारण गांवों में विकास की गति धीमी हो रही है। जबकि, नियमावली तैयार हो चुकी है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। पेसा कानून के लागू होने से बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकता है, और राज्य के संसाधनों का बेहतर प्रबंधन हो सकता है।
पेसा कानून पर लघु फिल्म और सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम के दौरान पेसा अधिनियम की विशेषताओं पर आधारित एक लघु फिल्म और गीत प्रस्तुत किए गए। आदिवासी परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने जनजातीय समुदायों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया। पैनल चर्चाओं में पारंपरिक ग्राम सभाओं और पंचायत शासन के बीच समन्वय पर भी विचार-विमर्श किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य और संदेश
यह कार्यशाला पंचायती राज मंत्रालय और झारखंड सरकार के सहयोग से आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना और पेसा अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूकता फैलाना था। इस कार्यशाला ने पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में नए कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।