पटना: कॉल रिकॉर्डिंग आज के दौर में एक एहम मुद्दा है। कई लोग इससे जुड़े मुद्दों से परेशान हैं। कई लोगों को इस बात का डर रहता है कि कोई उनका कॉल चुपके से रिकॉर्ड न कर लें। साथ ही कई लोग इस दिक्क्त में रहते हैं कि उनके फोन में कॉल रिकॉर्डिंग फीचर ही नहीं दिया है।
खैर, अगर आप भी किसी का कॉल रिकॉर्ड करते हैं, तो सचेत हो जाएं। बिना किसी के परमिशन के अगर आप फोन कॉल रिकॉर्ड करते हैं, तो यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और आपके खिलाफ पुलिस कार्रवाई हो सकती है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अनुमति के बिना कॉल रिकॉर्ड करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें फैमिली कोर्ट ने पति से अपनी पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग बतौर सबूत पेश करने को कहा था।
बिना अनुमति के नहीं कर सकेंगे कॉल रिकॉर्ड
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि किसी व्यक्ति की जानकारी के बिना उसके मोबाइल फोन पर बातचीत को रिकॉर्ड करना अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है। उच्च न्यायालय एक महिला द्वारा चुनौती दी गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता के एक मामले में महासमुंद की परिवार न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें साक्ष्य के रूप में मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
क्या था मामला?
अधिवक्ता वैभव ए गोवर्धन ने बताया कि करीब 10 साल पहले महासमुंद जिले में महिला की शादी हुई थी। कुछ समय बाद पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया। पति ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया। पत्नी ने साल 2019 में धारा 125 के तहत भरण-पोषण राशि के लिए फैमिली कोर्ट में अपील दायर कर दी।
कोर्ट में पति ने तर्क दिया कि पत्नी का दूसरे व्यक्ति से अवैध संबंध है। इस पर फैमिली कोर्ट ने सबूत पेश करने के लिए कहा, तब पति ने अपनी पत्नी की मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने की अनुमति मांगी। फैमिली कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2021 को कॉल रिकॉर्डिंग पेश करने की अनुमति दे दी थी।
फैमिली कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उसने तर्क दिया कि उसकी अनुमति के बगैर मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग करना निजता के अधिकार का हनन है। महिला की तरफ से एडवोकेट ने निजता के अधिकार पर दिए गए फैसलों का भी हवाला दिया और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी व्यक्ति की जानकारी के बिना कॉल रिकॉर्ड करना गलत है।
लिहाजा, फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज किया जाए। हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद माना कि किसी भी शख्स की बातचीत उसके इजाजत के बगैर मोबाइल पर अगर रिकॉर्ड की जा रही है, तो वह गलत है।
यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया।
जानिए क्या कहता है कानून?
अगर आप किसी की अनुमति के बिना मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करते हैं, तो आपके खिलाफ आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस आईटी अधिनियम के तहत, किसी तीसरे पक्ष के व्यक्ति से संबंधित कोई भी जानकारी, दस्तावेज आदि को उसकी मंजूरी या जानकारी के बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के माध्यम से सार्वजनिक करना धारा 72 का उल्लंघन माना जाएगा। अनुच्छेद 21 में प्रत्येक व्यक्ति को निजता का अधिकार है। अगर आप दोषी पाए गए, तो आपको दो साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
स्मार्टफोन ने बंद किया कॉल रिकॉर्डिंग फीचर
एंड्रॉइड स्मार्टफोन में पहले से ही इनबिल्ड कॉल रिकॉर्ड फीचर बंद कर दिया गया है। इसके लिए थर्ड पार्टी ऐप की जरूरत होती है, जबकि आईओएस स्मार्टफोन में कॉल रिकॉर्ड का फीचर नहीं मिलता है, हालांकि वॉइस मोमो का ऑप्शन मिलता है, जिससे आप किसी के साथ बातचीत की रिकॉर्डिंग कर सकते हैं, लेकिन कॉल रिकॉर्ड का ऑप्शन नहीं मिलता है।
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