नई दिल्ली :Fact Check Unit: सर्वोच्च न्यायालय ने प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट स्थापित करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी संशोधन नियम 2023 के तहत केंद्र सरकार की तरफ से 20 मार्च को फैक्ट चेक यूनिट (FCU) की अधिसूचना पर रोक लगाई है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा
सर्वोच्च न्यायालय ने इस नोटिफिकेशन पर तब तक रोक लगा दी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट सूचना प्रौद्योगिकी नियम संशोधन 2023 की चुनौतियों पर कोई निर्णय नहीं कर लेता। मालूम हो कि फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना हाल ही में संशोधित आईटी नियमों के तहत अपने व्यवसाय से संबंधित सोशल मीडिया पर कंटेंट की निगरानी के लिए की गई थी।
सीजेआई ने कहा, फैक्ट चेक यूनिट बनाना गलत
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया पर फेक और भ्रामक कंटेंट की पहचान करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सीजेआई की पीठ ने कहा, ‘हमारी सुविचारित राय है कि उच्च न्यायालय के समक्ष जो प्रश्न हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के मूल प्रश्नों से जुड़ा हुआ है।’ एससी ने कहा कि 15 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है और उससे पहले फैक्ट चेक यूनिट बनाना गलत है।
जानें Fact Check Unit नोटिफिकेशन में क्या था?
20 मार्च को जारी नोटिफिकेशन में बताया गया था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से तथ्यों की जांच करने का काम करेगी, जिसमें वो फेसबुक, X या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में किसी जानकारी को फेक या गलत बता सकती है। इसके बाद ये प्लेटफॉर्म्स उस सामग्री या पोस्ट को हटाने के लिए कानूनी रूप से विवश होंगे। साथ ही इंटरनेट से उसका URL भी ब्लॉक करना होगा। ये फैक्ट चेक यूनिट सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 (Information and Technology Rules of 2021) में संशोधन के बाद लाई गई थी।
PIB फैक्ट चेक यूनिट कैसे काम करती है?
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी फैक्ट चेक के जरिए सरकार से जुड़ी खबरों का खंडन करता है। कहने का मतलब अगर न्यूजपेपर/ऑनलाइन मीडिया/ या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित किसी खबर में सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं या सरकार या उसकी छवि खराब करने वाली बात कही गई है, तो उनका तथ्यों के साथ विश्लेषण करके तथ्यों की जांच की जाती है।
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