स्पेशल डेस्क : मंगल ग्रह के आकाश में उड़ रहा है एक हेलीकॉप्टर जिसे बनाने वाले आविष्कारक भारतीय मूल के अमेरिकी साइंटिस्ट है। यह अविष्कार हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस उपलब्धि के पीछे है डॉ. जे. बॉब बलराम, एक महान भारतीय मूल के वैज्ञानिक है। डॉ. बलराम, वर्तमान में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला जेपीएल में कार्यरत हैं और उन्होंने मंगल ग्रह पर उड़ने वाले हेलीकॉप्टर “इनजेनिटी” को डिज़ाइन किया हैँ। इसका वजन मात्र 1.8 किलोग्राम है, लेकिन यह मंगल के वातावरण में उड़ सकता है। इनजेनिटी नामक हेलीकॉप्टर को बनाना एक चुनौती थी। इस चुनौती को स्वीकार कर इनजेनिटी को बना कर भारत को गर्वित किया है।
डॉ. बलराम कौन हैं?
डॉ. बॉब बलराम ने आईआईटी, मद्रास के पूर्व छात्र हैं। डॉ. बॉब ने 1975-80 के बैच में बी.टेक, मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। डॉ. बॉब बलराम, वर्तमान में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला जेपीएल में कार्यरत हैं।
इनजेनिटी: मंगल ग्रह पर करिश्मा
इनजेनिटी हेलीकॉप्टर ने एक नई मील की प्राप्ति की है। इसका वजन मात्र 1.8 किलोग्राम है, लेकिन यह मंगल के वातावरण में उड़ सकता है। वे “गिन्नी” नामक इस हेलीकॉप्टर को डिज़ाइन करने वाले व्यक्ति हैं, जो भारतीय नागरिक हैं।
इनजेनिटी सक्रिय है मंगल ग्रह पर
इनजेनिटी को मंगल ग्रह पर काम करने के लिए तैयार किया गया था और वह अब भी मंगल पर सक्रिय है। इस अद्वितीय हेलीकॉप्टर को भारतीय वैज्ञानिक ने डिज़ाइन किया, और यह दुनिया के अन्य किसी ग्रह पर संचालित और नियंत्रित उड़ानों की पहली उड़ानों में से एक है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनजेनिटी के ब्लेड लगभग 2400 से 2900 RPM की गति पर घूमते हैं। इसकी गति पृथ्वी पर हेलीकॉप्टरों की तुलना में लगभग 10 गुना तेज है। इनजेनिटी पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर संचालित, नियंत्रित उड़ान का प्रयोग है। इस विशेष मोमेंट को महत्वपूर्ण बनाता है कि हेलीकॉप्टर 18 फरवरी, 2021 को स्टोववे की तरह मंगल की सतह पर पहुंचा और इनजेनिटी को 3 अप्रैल, 2021 को सतह पर तैनात किया गया। जब रोवर एक उपयुक्त “हवाई क्षेत्र” स्थान पर पहुंचा, तो उसने सतह पर इनजेनिटी का प्रारंभ किया, जिससे यह 30-मार्टियन-दिन की प्रायोगिक विंडो पर उड़ानों की एक श्रृंखला कर सकी।
चंद्रमा मिशन की सराहना
डॉ. बलराम ने भारत के ऐतिहासिक चंद्रमा मिशन को बड़ी सराहना दी है। उन्होंने इस बड़े प्रयास को सराहा और कहा, “विक्रम लैंडिंग ने हमें गर्वित किया है, और अब इसरो को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में बढ़ना चाहिए।” उनके बनाए हेलीकॉप्टर ने सफलता के साथ तीन उड़ानों के बाद अपनी तकनीकी प्रदर्शन को पूरा किया है।
डॉ. बलराम की महत्वपूर्ण भूमिका
डॉ. बॉब बलराम के योगदान ने हमारे लिए एक नया आश्चर्य प्रकट किया है, जिसका नाम इनजेनिटी हेलीकॉप्टर है। उनकी कठिनाइयों और मेहनत ने हमें मंगल ग्रह के आकाश में एक नया करिश्मा दिखाया है, और वे भारतीय युवाओं को भारत की शान बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। डॉ. बलराम के योगदान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने भारत को गर्वित किया है और आने वाले वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। डॉ बलराम अब नासा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन उनका योगदान भारतीय छात्रों को अंतरिक्ष के आश्चर्यों की ओर आकर्षित करने में मदद करने के लिए नहीं थमा है। उन्होंने कहा है वह भारतीय छात्रों की मदद करना चाहते हैं। यही नहीं, वे उन छात्रों को प्रेरित करना चाहते हैं जो भविष्य में भारत को गौरवान्वित कर सकते हैं।