नई दिल्ली : भारत में, शरद पूर्णिमा को एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार माना जाता है। यह अश्विन मास में आता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर के महीने में पड़ता है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की 16 कलाओं से परिपूर्ण होने का दिन माना जाता है, जिससे यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस बार का शरद पूर्णिमा खास होने जा रहा है क्योंकि इस दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा होती है। धन और वैभव की प्राप्ति के लिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण कब लगेगा है? किस वक्त कर सकेंगे पूजा? आइए जानते हैं:-
कब है शरद पूर्णिमा , क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व?
शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन, लोग चंद्रमा की पूजा करते हैं, देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, और खीर बनाते हैं और इसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं। शरद पूर्णिमा को व्रत रखकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं। सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के संग शरद पूर्णिमा की रात महारास रचाया था।
दूध की खीर का विशेष महत्व
शास्त्रों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव पृथ्वी के सबसे करीब होते हैं। इस दिन दूध की खीर बनाने का विशेष महत्व माना जाता है। सभी लोग अपने घर में खीर बनाते हैं और एक बर्तन में खीर भरकर उसे घर की छत पर रखते हैं। ऐसा करने से चंद्रमा की किरणें खीर में पढ़ती हैं और खीर औषधीय गुणों से भर जाती हैं।
कब है शरद पूर्णिमा? जानिए शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के मुताबिक इस साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर आरंभ हो रही हैं। इस तिथि का अंत अगले दिन 29 अक्टूबर को रात में 01 बजकर 52 मिनट पर होगा। वहीं उदयातिथि को आधार मानते हुए शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा के 3 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। जिसमें शुभ-उत्तम मुहूर्त रात 08 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। वहीं दूसरा मुहूर्त अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 10 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। वहीं तीसरा मुहूर्त चर-सामान्य मुहूर्त 12 बजकर 04 मिनट से 01 बजकर 41 मिनट तक है। इन मुहूर्तों में लक्ष्मी पूजा की जा सकती है।
शरद पूर्णिमा के दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण
इस बार शरद पूर्णिमा के मौके पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार ये चंद्र भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इस साल शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। बता दें कि 30 साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन लगने जा रहे चंद्र ग्रहण के साथ गजकेसरी योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन 28 अक्टूबर को गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने जा रहा है। भारत में भी यह चंद्रग्रहण दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल मान्य होगा।
देर रात लगेगा चंद्र ग्रहण
इस साल शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण देर रात 01 बजकर 06 एएम पर लगेगा और चंद्र ग्रहण का समापन 29 अक्टूबर को 02 बजकर 22 एएम पर होना है। इसका सूतक काल 28 अक्टूबर को दोपहर 02:52 बजे से लग जाएगा। सूतक काल में पूजा और ज्योतिष उपाय नहीं किए जा सकते हैं। ऐसे में रात के समय न तो लक्ष्मी पूजा होगी और न चंद्रमा को अर्घ्य दे पाएंगे। इस स्थिति में आप शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा और चंद्रमा पूजन या तो सूतक काल से पूर्व करें या फिर चंद्र ग्रहण के समापन के बाद करें।
इस दिन रखें खीर
ज्योतिषों के मुताबिक पूर्णिमा के दिन ही लग रहे चंद्र ग्रहण की वजह से आप इस दिन खीर खुले आसमान में ना रखें। अगर आप इस दिन खीर बनाकर रखते हैं तो वह खीर औषधीय होने की जगह दूषित हो जाएगी और ये दूषित खीर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। कुछ पुजारी बताते हैं कि इस साल 27 अक्टूबर शुक्रवार की रात में खीर बना लें और फिर 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की तिथि शुरु होते ही उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। और फिर आप चंद्रास्त के बाद उस खीर को खा सकते हैं। ऐसा करने से खीर दूषित भी नहीं होगी और उसे औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी।
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