जमशेदपुर/Satuan 2024: बिहार-झारखंड सहित सतुआन उत्तरी भारत के कई राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। रविवार को यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व गर्मी के आगमन का संकेत देता है। मेष संक्रांति के दिन ही सतुआन का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करता है।
इस दिन भगवान को भोग के रूप में सत्तू अर्पित किया जाता है और सत्तू का प्रसाद खाया जाता है। यह खास त्योहार बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में मनाया जाता है। बिहार के मिथिलांचल में इसे जुड़ि-शीतल के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन से ही मिथिला में नए साल की शुरुआत हुई थी।
Satuan 2024: सूर्य भगवान पूरी कर लेते हैं उत्तरायण की आधी परिक्रमा
सतुआन पर्व बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान अपनी उत्तरायण की आधी परिक्रमा को पूरी कर लेते हैं। हर साल यह पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह पर्व गर्मी के मौसम का स्वागत करता है। इस पर्व में प्रसाद के रूप में सत्तू खाया जाता है, इसलिए इसका नाम सतुआन है।
हम सभी जानते हैं कि गर्मी के मौसम में सत्तू कितना लाभदायक होता है। सत्तू हमारे शरीर और पेट को ठंडा रखने में मदद करता है। गर्मी के मौसम में अगर आप सत्तू खाते हैं तो ये आपके पेट को भरा रखता है और आपको लू की चपेट से भी बचाता है।
Satuan 2024: चना, जौ व मकई का सत्तू खाने की परंपरा
सतुआन में मुख्य रूप से चने का सत्तू खाने की परंपरा है, लेकिन कुछ लोग इसके साथ जौ व मकई का सत्तू भी खाते हैं। गुड़ या नमक मिलाकर सत्तू को साना जाता है, तो इसके साथ कच्चे आम के साथ हरी धनिया और पुदीना की चटनी खाने की परंपरा है। मिथिला सहित पूर्वांचल में कढ़ी-बड़ी भी बनती है।
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