जमशेदपुर : Akshaya Tritiya 2024: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर 10 मई को अक्षय तृतीया का त्योहार पड़ रहा है। इसकी महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है। इस दिन किए गए पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते है। यह सर्व सौभाग्यप्रद है।
यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारंभ तिथि है। श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था।
इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे, कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ या संपन्न किया जा सकता है। जैसे – गृह प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषि कार्य का प्रारंभ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।
प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व
इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्रह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है।
स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें
माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन ।
प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥
‘हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देने वाले हो जाओ और पापों का नाश करो।’
सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।
Akshaya Tritiya 2024: जप, उपवास व दान का महत्त्व
इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है । एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं। ‘भविष्य पुराण’ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है। इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूं, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।
पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि
इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतान आती है।
विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रह्माजी को तत्व रूप से पधारने की प्रार्थना करें। फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रह्माजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।
आशीर्वाद पाने का दिन
इस दिन माता-पिता व गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।
अक्षय तृतीया का तात्विक संदेश
‘अक्षय’ यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तु नाशवान है, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्म विवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्म प्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो, यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।
– आचार्य ज्योतिष सचिन पांडे (पुजारी), श्रीश्री बाबा भक्तेश्वर नाथ शिव मंदिर, भाटिया बस्ती चौक, कदमा, जमशेदपुर, फोन : 8825134831
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