रांची/ Soren did not get interim bail: झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट ने राहत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम राहत की याचिका निरर्थक है और इसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसे निपटारा किया जा सकता है। अदालत ने कहा, हेमंत सोरेन के सभी दलीलों को सुना जाएगा।
Soren did not get interim bail: हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
झारखंड के पूर्व सीएम ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी गिरफ्तारी के सही बताते हुए हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने तीन मई को फैसला सुनाते हुए कहा था कि ईडी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं और हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
13 मई को हो सकती है सुनवाई
अब हेमंत सोरेन की याचिका पर 13 मई को सुनवाई हो सकती है। हेमंत सोरेन का पक्ष रखते हुए वरीय वकील कपिल सिब्बल ने दो दिन बाद सिर्फ सुनवाई करने की अपील की, जिसके तहत 13 मई को सुनवाई होने की संभावना है। बता दें कि कथित जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।
लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए मांगी थी अंतरिम जमानत
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि याचिका बेकार हो गई है, क्योंकि उच्च न्यायालय तीन मई को अपना फैसला सुना चुका है और सोरेन पहले ही उसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे चुके हैं। सोरेन ने गिरफ्तारी के खिलाफ अपनी याचिका पर उच्च न्यायालय का निर्णय आने तक लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने का भी अनुरोध किया था।
याचिका बेकार हो गई है : सुप्रीम कोर्ट
जजों की पीठ ने सोरेन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल तथा अरुणाभ चौधरी से कहा, ‘‘यह बेकार हो गई है।’’सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय के पिछले सप्ताह के फैसले को चुनौती देने वाली सोरेन की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) 13 मई को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आ रही है। उन्होंने कहा कि दोनों याचिकाओं पर 13 मई को एक साथ सुनवाई की जाए।
पूर्व सीएम नहीं, आम नागरिक के तौर पर हेमंत सोरेन को न्याय दें : कपिल सिब्बल
हालांकि, पीठ ने कहा कि सोरेन के वकील उस एसएलपी में समस्त दलील उठा सकते हैं, जो 13 मई को सुनवाई के लिए आएगी। सिब्बल ने कहा कि भूल जाइए कि वह एक पूर्व मुख्यमंत्री हैं। मुझे (सोरेन को) नागरिक के तौर पर अधिकार है कि उच्च न्यायालय निष्पक्षता बरते। वहीं, पीठ ने सोरेन की याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि आपने उच्च न्यायालय के आदेश को एक और याचिका में चुनौती दी है। आप वहीं दलील दीजिए।
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