सेंट्रल डेस्क, नई दिल्ली : देश के पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इसमें छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश, मिजोरम व तेलंगाना शामिल है। इन राज्यों में राजनीति दलों की ओर से प्रचार-प्रसार तेज हो गई है। मतदाताओं को रिझाने के लिए खूब लुभावने वादे किए जा रहे हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि इन राज्यों की वर्तमान सरकारें कर्ज के बोझ से दबी हुई है। ऐसे में आगे जो भी नई सरकार आएगी उसके सामने इससे निपटना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी और इसका असर कहीं न कहीं लोगों के जेब पर भी देखने को मिलेगा। ऐसे में लोक लुभावन वादे को लेकर लोगों को भी जागरूक व सोचने की होने की जरूरत है।
किस राज्य पर कितना है कर्ज
वर्ष 2019 से 2022 तक का आंकड़ा देखा जाए तो मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरकारों ने लगभग 5,03,126 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। वहीं, मार्च, 2023 तक मध्य प्रदेश पर कुल 3,78,617 करोड़ रुपये, राजस्थान पर 5,37,013 करोड़ रुपये, तेलंगाना पर 3,66,606 करोड़ व छत्तीसगढ़ पर 82,125 रुपये का कुल कर्ज है। इस तरह से देखा जाए तो इन राज्यों पर लगभग 13,64,361 करोड़ का कर्ज है, जिससे निपटना एक बड़ी चुनौती होगी।
बढ़ते कर्ज को लेकर आरबीआई ने जताई चिंता
राज्यों पर बढ़ते कर्ज को लेकर आरबीआई ने भी चिंता जाहिर की है और अपने रिपोर्ट में कहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कर्ज लंबे समय तक बरकरार नहीं रखा जा सकता है। हालांकि, एक अच्छी बात यह भी है कि कोविड के बाद भारतीय इकोनॉमी में तेजी आई है। ऐसे में इसका असर इन राज्यों के भी राजस्व पर दिखेगा।
राज्यों को बढ़ाना होगा राजस्व
राज्यों को कर्ज के बोझ से मुक्ति के लिए राजस्व के स्रोत बढ़ाने होंगे। ऐसे में कुछ कठोर फैसले भी लेने पड़ सकते हैं, जिसका सीधा असर लोगों के जेब पर पड़ेगा। हालांकि, इससे इतर राजनीतिक दलों के बीच रेवड़ियां बांटने की होड़ मची हुई है, जिससे राज्यों पर और भी अधिक कर्ज बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। आरबीआई ने इसको लेकर संकेतों में चेताया भी है। वहीं, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वर्ष 2022-23 में राज्यों के आम बजट में गैर-विकास मदों में खर्चों का अनुपात काफी बढ़ा है। ऐसे में इन सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अन्यथा इसका नुकसान सभी को भुगतना पड़ सकता है।
अगले पांच वर्षों में किस राज्य को कितनी राशि चुकानी होगी
चुनावी राज्यों में बनने वाली नई सरकारों के समक्ष कर्ज चुकाना बड़ी चुनौती होगी। अगले पांच वर्षों के अंदर उक्त कर्ज के एक बड़े हिस्से जमा करने होंगे। आरबीआई के अनुसार, वर्ष 2024-25 से वर्ष 2028-29 के दौरान मध्य प्रदेश पर बकाये कर्ज की कुल 40.3 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। वहीं, राजस्थान की नई सरकार को अगले पांच वर्षों में कुल 40.5 प्रतिशत राशि चुकाने होंगे। इसी तरह छत्तीसगढ़ की नई सरकार को 70.4 प्रतिशत व तेलगांना की नई सरकार को 29.7 प्रतिशत चुकानी होगी। सबसे अधिक छत्तीसगढ़ सरकार को 70.4 प्रतिशत राशि देने होंगे।
इन चुनावी राज्यों में ‘रेवड़ी’ बांटने की लगी है होड़
चुनावी राज्यों में रेवड़ी बांटने की होड़ मची हुई है लेकिन जीतने के बाद उसे पूरा कैसे करेंगे इसपर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। चूंकि, उन्हें भी पता है कि राज्य की बजट व्यवस्था पर बड़ा बोझ बनने वाली है। अभी जिस तरह से लोक लुभावन वादे किए जा रहे हैं उसे इन राज्यों के आर्थिक स्थिति देखकर लागू कर पाना आसान नहीं दिख रहा है। मध्यप्रदेश में 100 यूनिट बिजली का बिल माफ करने से लेकर किसानों के पुराने बिजली बिलों की माफी सहित अन्य वादे किए गए हैं।