नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को ईवीएम-वीवीपैट मामले पर सुनवाई हुई। (EVM VVPAT) इस दौरान देश की शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। आयोग से सवाल किया गया कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष इलेक्शन करवाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से बताए। कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से डाले गए वोटों का वीवीपीएटी सिस्टम के जरिए निकलने वाली पर्चियों से मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, “यह एक चुनावी प्रक्रिया है। इसमें पवित्रता होनी चाहिए। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जिस चीज की उम्मीद की जा रही है, वह नहीं हो रही है।” चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट में वकील मनिंदर सिंह पेश हुए हैं, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील निजाम पाशा और प्रशांत भूषण पेश हुए।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें (EVM VVPAT)
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि इस अग्रिम चरण में, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों का पहला चरण कल से शुरू हो रहा है, ECI के लिए सबसे आसान काम यह है कि पूरे मतदान के दौरान VVPAT स्क्रीन की लाइट जलती रहे, जिससे मतदाता पर्ची कटते और गिरते हुए देख सके। दूसरी ओर, वकील निजाम पाशा ने सुझाव दिया कि मतदाता को VVPAT पर्ची भौतिक रूप से लेने और मतपेटी में जमा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इवीएम-वीवीपैट के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुझाव दिया कि अगर हर प्रत्याशी को चुनाव चिह्न के साथ बार कोड दिया जाए तो जब पर्चियां गिननी होती है, तो मशीन बारकोड से ही गिनती कर लेती। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि यह संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि यह मौलिक अधिकार है, लेकिन अति संदेह की यहां जरूरत नहीं है।
जस्टिस खन्ना ने नाराजगी जताते हुए कहा कि भूषण जी, चाहे वीवीपीएट मशीन पर पारदर्शी, ट्रांसपैरेंट ग्लास हो या बल्ब हो, आप इसे बहुत दूर ले जा रहे हैं। बल्ब आपको यह देखने में मदद करता है, बस इतना ही है। गणना नियंत्रण इकाई द्वारा की जाती है। हर बार जब वोट डाला जाता है, तो पर्ची गिर जाती है और मतदान अधिकारी द्वारा कुल का सत्यापन किया जाता है।
“7 सेकंड तक जलती है VVPAT लाइट”
प्रशांत भूषण ने केरल के लिए अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि बीजेपी के पक्ष में EVM में मॉक के समय एक अतिरिक्त वोट पड़ रहा था। इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से इसे वेरीफाई करने को कहा। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है।
हर बात पर सफाई की जरूरत नहीं
जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा-आप इस तरह हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते। आपकी बातों को हमने विस्तार से सुना। चुनाव आयोग के प्रयासों को भी जाना। आपको भी इसकी सराहना करनी चाहिए। ईवीएम-वीवीपैट मिलान पांच फीसदी होगा, 40 होगा, 50 होगा या कुछ और, चुनाव आयोग को हर बात पर आपको सफाई देने की जरूरत नहीं है। वे लोग काम कर रहे हैं।