नई दिल्ली: संसद में पैसा लेकर सवाल पूछने के आरोपों में घिरीं TMC सांसद महुआ मोइत्रा गुरूवार को संसद के एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुईं। लेकिन उन्होंने अपने उपर लगे आरोपों का जवाब देने की जगह एथिक्स कमेटी पर ही नए आरोप लगा दिए हैं। महुआ ने कमेटी के चेयरपर्सन विनोद सोनकर पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने शब्दों से मेरा चीरहरण (Proverbial Vastraharan) किया। चेयरपर्सन ने जानबूझकर ऐसे सवाल पूछे जो बेहद अपमानजनक थे। यह सब उन्होंने एथिक्स कमेटी के सदस्यों के सामने किया।
इस पूरे मामले को लेकर महुआ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लेटर लिखा है। इसमें महुआ ने ये भी लिखा कि चेयरपर्सन विनोद सोनकर का बर्ताव अनैतिक, घिनौना और पूर्वाग्रह से भरा था। उन्होंने लिखा की एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष मुझसे मुद्दे से संबंधित प्रासंगिक कोई भी सवाल जैसे लॉगिन, गिफ्ट लेने के आरोप पर कोई प्रश्न नहीं हुआ। एक महिला के रूप में मेरी गरिमा को तार-तार करने वाले व्यक्तिगत सवाल पूछे गए।
इससे पहले खबर आई थी कि महुआ ने एथिक्स कमेटी के सामने खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि वकील जय अनंत देहाद्राई से निजी रिश्तों में खटास के कारण यह विवाद खड़ा हुआ है।
एथिक्स कमेटी का नाम बदल देना चाहिए:
महुआ ने कहा इस समिति का नाम बदल देना चाहिए एथिक्स कमेटी (आचार समिति) के बजाय कोई अन्य नाम देना चाहिए, क्योंकि इसमें कोई नैतिकता नहीं बची है। विषय से संबंधित प्रश्न पूछने के बजाय चेयरपर्सन ने दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से सवाल किए। यहां तक कि वहां मौजूद 11 में से 5 सदस्यों ने उनके शर्मनाक बर्ताव के विरोध में पूछताछ का बहिष्कार किया।
TMC ने एथिक्स अध्यक्ष को बताया धृतराष्ट्र:
महुआ के आरोपें के बाद उनकी पार्टी TMC भी एथिक्स कमेटी के चेयरमैन पर हमलावर दिखी यहां तक की उनकी तुलना धृतराष्ट्र से करते हुए बाकी सदस्यों को दुर्योधन बता दिया। पश्चिम बंगाल की मंत्री शशि पांजा ने कहा जब पैनल के सदस्य एक निर्वाचित महिला सांसद के खिलाफ सुनवाई के दौरान उनका अपमान करते हुए “दुर्योधन” की तरह आनंद ले रहे थे, तो अध्यक्ष “धृतराष्ट्र” की तरह बैठ कर सबकुछ देख रहे थे।
महुआ का आरोप ‘चेयरमैन पूछते हैं- रात में किससे बात करती हैं’
महुआ मोइत्रा, दानिश अली और अन्य विपक्षी सांसद भड़कते हुए गुरुवार दोपहर 3:35 बजे एथिक्स कमेटी के दफ्तर से बाहर निकले। जब इनसे गुस्से का कारण पूछा गया तो दानिश अली बोले- चेयरमैन पूछ रहे हैं कि रात में किससे बात करती हैं, क्या बात करती हैं। ये कैसी एथिक्स कमेटी है, जो अनैतिक सवाल पूछ रही है। विपक्षी सदस्यों, टीएमसी सांसद महुआ के हंगामे के बाद भी एथिक्स कमेटी ने विचार-विमर्श जारी रखा।
महुआ पर अध्यक्ष के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने का आरोप:
महुआ मोइत्री व विपक्षी सदस्यों के बहिष्कार व उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को नकारते हुए एथिक्स कमेटी प्रमुख विनोद सोनकर ने उल्टे महुआ व विपक्षी सांसदों पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन संसद सदस्यों ने पैनल की कार्यप्रणाली और मेरे खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। वहीं एथिक्स पैनल की सदस्य अपराजिता सारंगी बोलीं- जब दर्शन के हलफनामे के बारे में पूछा गया तो टीएमसी सांसद महुआ ने गुस्से में और अहंकारपूर्ण व्यवहार किया। जबकि BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा- दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे में किए गए दावों पर लोकसभा की एथिक्स कमेटी महुआ मोइत्रा से सवाल करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि महुआ को यह नहीं पच रहा कि एक ओबीसी कैसे एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष है जिसके सामने उन्हें हाजिर होना पड़ रहा है।
जानिए क्या है पूरा मामला
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिख सांसद महुआ पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे। इस मामले को स्पीकर ने एथिक्स कमेटी को भेज दिया।
21 अक्टूबर को निशिकांत दुबे ने महुआ पर एक और गंभीर आरोप लगाया। निशिकांत ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा- कुछ पैसों के लिए एक सांसद ने देश की सुरक्षा को गिरवी रख दिया। मैंने इसे लेकर लोकपाल से शिकायत की है।
उन्होंने कहा कि दुबई से संसद की ID खोली गई, जबकि उस वक्त वो कथित सांसद भारत में ही थीं। इस नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) पर पूरी भारत सरकार है। देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केंद्रीय एजेंसी यहां हैं। क्या अब भी TMC व विपक्षी दलों को राजनीति करनी है। निर्णय जनता का है।
इसके बाद एथिक्स कमेटी ने 27 अक्टूबर को महुआ को समन भेजा और 31 अक्टूबर को सुबह 11 बजे कमेटी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। महुआ ने इसी दिन एथिक्स कमेटी को लिखा था कि वे 5 नवंबर के बाद ही मौजूद हो पाएंगी। 28 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी ने महुआ को 2 नवंबर को पेश होने को कहा।
जांच में दोषी पाए जाने पर एथिक्स कमेटी करती है सजा की सिफारिश:
जानकारों की मानें तो यह एक जटिल प्रक्रिया है इसके तहत जिस भी सांसद पर आरोप लगते हैं उन्हें पहले अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। इसके लिए उन्हें कमेटी के समक्ष बुलाया जाता है। इस दौरान कमेटी यह जांच करती है कि क्या सवाल किसी खास के हित में या उसके बिजनेस को लाभ पहुंचाने के लिए पूछे गए या नहीं। पूरी जांच कर एथिक्स कमेटी अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपती है।
अगर इसमें किसी भी तरह की सजा की सिफारिश की जाती है तो संसद में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सहमति के आधार पर उस सांसद के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष एक्शन ले सकते हैं। जानकार बताते हैं कि स्पीकर को यह अधिकार है कि वो सेशन नहीं चल रहा हो तो भी कार्रवाई कर सकते हैं।