नई दिल्ली। असम के सीएम व भाजपा के फायर ब्रांड नेता हिमंत बिस्वा सरमा अपने बेबाक बयानों के चलते मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। सीएम बनने के बाद से हिमंता की बेबाकी के चर्चे और अधिक होने लगे हैं। ऐसे ही बेबाक बयानों के चलते इस बार वे चुनाव आयोग के रडार पर आ गए हैं। चुनाव आयोग ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
30 अक्टूबर शाम पांच बजे तक देना होगा जवाब
चुनाव आयोग की यह नोटिस कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने के मामले से जुड़ी है। दरअसल, 18 अक्टूबर को उनकी ओर से दिए गए भाषण के कुछ हिस्सों को आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन माना गया है। चुनाव आयोग ने सरमा से नोटिस का जवाब देने की अंतिम तारीख के रूप में 30 अक्टूबर, शाम 5 बजे तक का समय दिया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को दी अपनी शिकायत में उनके खिलाफ कवर्धा से उम्मीदवार मोहम्मद अकबर के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणी करने के आरोप लगाए थे।
ऐसा क्या कहा असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने
कवर्धा से उम्मीदवार मोहम्मद अकबर के खिलाफ जिस बयान के आधार पर शिकायत की गई है उसके अनुसार, सरमा ने कहा, “अगर एक अकबर एक जगह आता है, तो सौ अकबर बुलाकर लाता है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके उस अकबर को अलविदा कहें, अन्यथा माता कौशल्या की यह भूमि अपवित्र हो जाएगी।” यही नहीं, आगे सरमा ने कवर्धा से भाजपा उम्मीदवार का जिक्र करते हुए कहा की भाइयों-बहनों, आप लोगों को छत्तीसगढ़ को बचाना है। मां कौशल्या की इस पवित्र भूमि को बचाना है।
आयोग ने प्रथम दृष्टया माना प्रावधानों का उल्लंघन
दरअसल, हिमंत बिस्वा सरमा की ओर से की गई टिप्पणी को कांग्रेस की ओर से सांप्रदायिक टिप्पणी बताया गया। इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई। इसके परिणामस्वरूप चुनाव आयोग ने उन पर कार्रवाई करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के अनुसार, चुनाव आयोग के प्रावधानों का पहला दृष्टया उल्लंघन किया गया है। आयोग की ओर से नोटिस जारी करते हुए सरमा को 30 अक्टूबर तक जवाब देने का समय दिया गया है।
को चुनाव आयोग का कारण बताओ नोटिस आया है और जवाब देने की अंतिम तारीख के रूप में 30 अक्टूबर, शाम 5 बजे तक का समय दिया है। दरअसल, उन्हें सांप्रदायिक टिप्पणी करने के मामले में उनके 18 अक्टूबर के भाषण के कुछ हिस्सों को आदर्श आचार संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन माना गया है।
READ ALSO : चीन के पूर्व प्रधानमंत्री ली केकियांग का दिल का दौरा पड़ने से निधन