Swami Smaranananda: नहीं रहे रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद, जानिए उनके बारे में
रामकृष्ण मिशन एवं मठ के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज (Swami Smaranananda) का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार रात दक्षिण कोलकाता स्थित रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान के अस्पताल शिशु मंगल में निधन हो गया। वे 95 साल के थे।
उम्र से संबंधित बीमारियों के चलते पिछले कई दिनों से वे यहां भर्ती थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कोलकाता दौरे के क्रम में अस्पताल जाकर अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज से मिलकर उनका कुशलक्षेप जाना था ।
आरके मिशन ने बयान जारी कर अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज के निधन की पुष्टि की। बयान में कहा गया, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के परम पूज्य अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंदजी महाराज ने मंगलवार रात 8.14 बजे महासमाधि ले ली। उन्हें संक्रमण के कारण 29 जनवरी को रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें सांस लेने में समस्या होने लगी। इसके बाद उन्हें तीन मार्च को वेंटिलेटर पर रखा गया था।
प्रधानमंत्री ने जताया दुख (Swami Smaranananda)
स्वामी स्मरणानंद के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा दुख जताया है। पीएम ने महाराज के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें साझा करते हुए एक्स पर लिखा- रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के पूज्य अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद जी महाराज ने अपना जीवन अध्यात्म और सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
उन्होंने अनगिनत दिलों और दिमागों पर अमिट छाप छोड़ी। उनकी करुणा और ज्ञान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी करुणा और बुद्धिमत्ता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
वर्षों से रहा है करीबी रिश्ता : नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री ने एक्स पर अपने संबोधन में कहा, “वर्षों से मेरा उनके साथ बहुत करीबी रिश्ता रहा है। मुझे 2020 में बेलूर मठ की अपनी यात्रा याद है जब मैंने उनसे बातचीत की थी। कुछ हफ्ते पहले कोलकाता में भी मैंने अस्पताल का दौरा किया था और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी निधन पर दुख जताया।
2017 में रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष बने थे
स्वामी स्मरणानंद रामकृष्ण मठ और मिशन के 16वें अध्यक्ष थे। उन्होंने स्वामी आत्मस्थानंद की मृत्यु के बाद 17 जुलाई 2017 को अध्यक्ष का पद संभाला था। स्वामी स्मरणानंद का जन्म 1929 में तमिलनाडु के तंजावुर के अंदामी गांव में हुआ था। रामकृष्ण संप्रदाय के साथ उनका पहला संपर्क 20 साल की उम्र में हुआ था। 22 साल की उम्र में उन्होंने मठवासी जीवन अपना लिया था।
स्मरणानंद महाराज के निधन से गहरा दुख हुआ
भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ‘भगवद गीता में कहा गया कि आत्मा न तो कभी जन्म लेती है और न ही कभी मरती है’। रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष श्रीमत स्वामी स्मरणानंद महाराज के निधन से गहरा दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन से जुड़े अनगिनत लोगों के साथ हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शाश्वत शांति मिले।
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