नई दिल्ली: जाे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) चुनावी बॉन्ड का विवरण देने के लिए सुप्रीम काेर्ट से तीन महीने का समय मांग रहा था। उसी ने सुप्रीम काेर्ट के फटकार के बाद दाे दिन में चुनाव आयोग (ईसी) को इसका विवरण साैंप दिया है। ईसी ने खुद विवरण मिलने की पुष्टि की है। चुनाव आयोग ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के 15 फरवरी और 11 मार्च के आदेश के अनुपालन में एसबीआई द्वारा मंगलवार को चुनावी चंदे की जानकारी प्रदान की गई है। कोर्ट के आदेश के तहत 15 मार्च तक चुनाव आयोग को यह जानकारी सार्वजनिक करनी है।
जानिए क्या कहा था सुप्रीम काेर्ट ने:
एसबाआई ने राजनीतिक दलों के भुनाए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का ब्योरा देने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया देश की शीर्ष अदालत से किया था। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एसबीआई को राहत देने से इनकार करते हुए कहा था कि एसबीआई कल (मंगलवार) तक ही जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे और चुनाव आयोग 15 मार्च तक चुनावी चंदे के विवरण को सार्वजनिक करे।
कोर्ट के सामने नहीं चली थी सबसे बड़े वकील की दलील:
इस मामले पर एसबीआई की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए थे। साल्वे ने अदालत को बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद एसबीआई ने नए चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगा दी है, लेकिन समस्या ये है कि जो चुनावी बॉन्ड जारी हुए हैं, उससे पूरी प्रक्रिया को पलटना होगा और इसमें समय लगेगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने एसबीआई की दलील मानने से इनकार कर दिया और निर्धारित समय में ही जानकारी देने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कुछ ऐसी रही थी कोर्ट की टिप्पणी:
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था की एसबीआई कह रही है कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कवर के साथ एसबीआई की मुंबई स्थित मुख्य शाखा में है। मिलान प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन हमने आपको मिलान करने के लिए कहा ही नहीं था और हमने सिर्फ स्पष्ट डिस्क्लोजर मांगा था। मामले पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति खन्ना ने एसबीआई के वकील हरीश साल्वे से कहा, आपने बताया कि चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी एक सील कवर लिफाफे में रखी गई है तो आपको सिर्फ सील कवर खोलकर जानकारी ही तो देनी है।