सेंट्रल डेस्क: आईफोन की हैकिंग को लेकर आए मैसेज के बाद शुरू हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। दरअसल, प्रसिद्ध फोन निर्माता कंपनी एप्पल के फोन का इस्तेमाल करने वाले कई ऐसे विपक्षी नेताओं को कंपनी की ओर से मेल मिला है कि जिसमें चेतावनी दी गई है कि उनके फोन राज्य समर्थित हमलावर (स्टेट स्पांसर्ड अटैकर्स) द्वारा टैप हो रहे हैं। अनेक विपक्षी नेताओं ने इसकी पुष्टि भी की है। इस मामले में सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जहां जांच के आदेश दिए हैं, वहीं संसदीय स्थायी समिति भी एक्शन में है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। वह एप्पल को पूछताछ के लिए बुलाने पर विचार कर रही है। समिति द्वारा समन भेजा जाता है, तो एप्पल के अधिकारी को पूछताछ के लिए पेश होना होगा। समिति ने फोन हैकिंग मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
क्या था नोटिफिकेशन?
सांसदों ने Apple के नोटिफिकेशन को शेयर किया था। इसमें लिखा था कि Apple का मानना है कि आपको राज्य-प्रायोजित हमलावरों द्वारा टारगेट किया जा रहा है। वे आपके Apple ID से जुड़े iPhone को रिमोटली प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। आप कौन हैं या आप क्या करते हैं। इसके आधार पर ये हमलावर संभवतः आपको व्यक्तिगत रूप से निशाना बना रहे हैं। यदि आपके डिवाइस के साथ किसी राज्य-प्रायोजित हमलावर ने छेड़छाड़ की है, तो वे आपके संवेदनशील डेटा, कम्यूनिकेशन या यहां तक कि कैमरा और माइक्रोफोन तक पहुंचने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि, यह संभव है कि यह एक गलत अलार्म है, कृपया इस चेतावनी को गंभीरता से लें।
फोन टैपिंग मामले में केंद्र सरकार पर हमला
अलर्ट मैसेज मिलने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। उन्होंने आरोप लगाए कि सरकार अपने विरोधियों के फोन टैप करा रही है। मामले के तूल पकड़ने के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। उन्होंने आरोपों को खारिज किया और कहा कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने ऐसे नेता जिन्हें मैसेज मिले हैं, उनसे जांच में सहयोग करने की अपील की। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि हम डरे हुए नहीं हैं। आप जितना चाहो (फोन) टैपिंग कर लो। मुझे कोई परवाह नहीं। अगर आप मेरा फोन लेना चाहते हैं, तो मैं देने को तैयार हूं।
सरकार पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद
विपक्षी नेताओं द्वारा सरकार पर अपना फोन टेप करवाने के लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार पर लगाए जा रहे आरोप बिल्कुल बेबुनियाद और गलत हैं, इन नेताओं को एप्पल से सफाई मांगनी चाहिए कि यह किस तरह का मैसेज है और कंपनी के जवाब से असंतुष्ट होने पर एफआईआर करवाना चाहिए। भाजपा मुख्यालय में विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बारे में मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इन नेताओं को एफआईआर करने से कौन रोक रहा है? यह क्या मैसेज है और क्यों भेजा गया है, इसके बारे में तो एप्पल कंपनी ही सफाई दे सकती है? उन्होंने कहा कि शशि थरूर तो स्वयं आईटी से जुड़ी स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं, वह इस मामले में एप्पल कंपनी से क्लेरिफिकेशन क्यों नहीं मांगते हैं?
राहुल गांधी के पेगासस जैसा मामला
रविशंकर प्रसाद ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर ये नेता एप्पल की सफाई से संतुष्ट नहीं होते हैं, तो जाकर एफआईआर करवाएं। प्रसाद ने इन नेताओं के आरोपों को राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों के समान बताते हुए कटाक्ष किया कि यह इस तरह का मामला लग रहा है, जैसे कि राहुल गांधी ने देश भर में हल्ला मचाया कि पेगासस से उनके फोन की जासूसी हो रही है, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपना फोन जांच कमेटी को जांच के लिए देने को कहा, तो उन्होंने नहीं दिया। रविशंकर प्रसाद ने सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों को बेबुनियाद और गलत बताते हुए कहा कि एप्पल कंपनी से क्लेरिफिकेशन मांगने और एफआईआर दर्ज करवाने की बजाय यह तमाम लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, जो बिल्कुल बेबुनियाद और गलत है।
हिम्मत है, तो जाकर एफआईआर करें
रविशंकर ने इन आरोपों को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गए एक और सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जहां तक वे अपने अनुभव से कह सकते हैं, कोई भी टेलीफोन कंपनी ऐसा नहीं कहती है, फोन टैपिंग को लेकर इस तरह का मैसेज नहीं भेजती है और अगर ऐसा कुछ होता है, तो सबसे पहले वह खुद क्विक रिस्पांस टीम के पास जाकर वहां बताती है कि यह कुछ ऐसा लग रहा है, इसको देखिए लेकिन यहां तो कमाल है कि मैसेज उन्हीं (नेताओं) को मिला और उसके बाद वह प्रेस में भी चले गए। उन्होंने आरोप लगाने वाले नेताओं को फिर से चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है, तो जाकर एफआईआर करें।
कंपनी ने दिया जवाब
इस विवाद के प्रतिक्रिया में एप्पल ने कहा है कि वह खतरे से आगाह कर रही है, लेकिन इसके लिये किसी भी राज्य प्रायोजित हमलावर विशेष को जिम्मेदार नहीं ठहरा रही है। कंपनी के अनुसार ‘ऐसे हमलों का पता लगाना कुछ गुप्त संकेतों पर निर्भर करता है, जो ज्यादातर आधे-अधूरे होते हैं। बयान में यह भी साफ किया गया है कि संभव है कि कुछ सूचनाएं गलत चेतावनी हो सकती हैं या कुछ हमलों का पता न चल पाए। कंपनी ने यह भी कहा है कि वह इस बारे में जानकारी देने में असमर्थ है कि किस कारण से उसे एलर्ट जारी करना पड़ा है, क्योंकि इससे राज्य प्रायोजित हमलावर भविष्य में और सावधान होकर काम करेंगे।
इन नेताओं ने की पुष्टि
फोन टैपिंग की जानकारी के सार्वजनिक होने से हड़कंप मच गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनका डिवाइस हैक हो रहा है या उसकी निगरानी हो रही है। ऐसे ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी को भी सोमवार की रात एप्पल से एक ई-मेल मिला। उसमें भी सावधान किया गया है कि उनके फोन की राज्य-प्रायोजित निगरानी की जा रही है और उनका फोन और सभी सिस्टम हैक हो रहे हैं। वैसे कंपनी द्वारा इस हैकिंग से निपटना मुश्किल बताया गया है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर, कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी आदि ने भी ऐसी ही चेतावनी मिलने की पुष्टि की है।
गौतम अदानी के खिलाफ बोलने के कारण फोन टैप
राहुल गांधी ने इस बारे में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारोबारी मित्र गौतम अदानी के खिलाफ बोलने के कारण ही उनके फोन को टैप किया जा रहा है। अपने फोन की टैपिंग के एलर्ट का संदेश देने वाले ईमेल की प्रति दिखाते हुए राहुल ने यह भी कहा कि देश में मोदी के भी ऊपर अदानी हैं। हालांकि, उन्होंने एक बार फिर से इस बात की घोषणा कर दी कि चाहे जो हो जाये, वे अदानी-मोदी के कथित घोटालों को उठाते रहेंगे।