काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू में विरोध प्रदर्शन जारी है। (Nepal Protest) इस दौरान राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के सदस्यों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। वे जातीय पहचान के आधार पर राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में दो पुलिस कर्मियों सहित कम से कम 6 लोग घायल हो गए हैं। शनिवार को नेपाल की राजधानी में राजेंद्र महतो के नेतृत्व में राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के सदस्यों द्वारा काठमांडू में एक मार्च आयोजित किया गया था। मार्च के दौरान राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के सदस्यों के साथ पुलिस की झड़प हो गई। पुलिस ने चार आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया है।
राजशाही वापस लाओ के नारे (Nepal Protest)
प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए पुलिस ने लाठी और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। किसी भी प्रदर्शनकारी को गंभीर चोट की खबर सामने नहीं आई है। ज्ञानेंद्र के प्रमुख समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी या नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से प्रदर्शन का आह्वान किया गया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘राजशाही वापस लाओ, गणतंत्र को खत्म करो’ के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने कहा, ‘हम अपने राजा और देश को जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं।’
उनकी पुलिस के साथ झड़प भी हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बांस-बल्लों, आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। यह प्रदर्शन नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेतृत्व में हो रहा था। इस दौरान लोगों ने नारे लगाते हुए कहा, “हम अपने देश और राजा से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। गणतंत्र को खत्म कर राजशाही की देश में वापसी होनी चाहिए।”
2008 में खत्म हुई राजशाही
इससे पहले प्रजातंत्र पार्टी ने फरवरी में 40 पॉइंट का एक ज्ञापन भी PM ऑफिस को भेजा था। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की मांग की गई थी। दरअसल, नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था। कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी।
साल 2007 में नेपाल को हिंदू से धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया। इसके अगले साल आधिकारिक तौर पर राजशाही खत्म कर चुनाव कराए गए। इसी के साथ वहां 240 साल से चली आ रही राजशाही का अंत हो गया। तब से लेकर अब तक नेपाल में 13 सरकारें रह चुकी हैं। नेपाल ने पिछले कुछ समय से राजनीतिक तौर पर काफी अस्थिरता रही है।
राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग
मंगलवार को आरपीपी अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगदेन जो प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे, उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में आने से रोक दिया गया। वह निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए सेना मुख्यालय के पास भद्रकाली मंदिर के पास पहुंच गए थे। इसके बाद उनके समर्थकों ने दो जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया और फिर फरार हो गए। पुलिस की मोर्चाबंदी राजशाही समर्थकों का सामना नहीं कर सकी। ये सभी प्रदर्शनकारी राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राज्य घोषित करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे।
चिरिंग लामा नाम के एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “इस देश के संविधान को बदलने की जरूरत है, जो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) की मांगों में से एक है। यदि हम संविधान बदल सकते हैं, नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र बना सकते हैं और राजशाही बहाल कर सकते हैं। यही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है, जो वर्तमान परिदृश्य में इस राष्ट्र को बचा सकता है, अन्यथा राष्ट्र की और भी दुर्गति हो जाएगी। जनता इस देश की और बुरी हालत नहीं देख सकती है, इसने लोगों को सड़क पर उतरने के लिए प्रेरित किया है और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया है।’
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