जामताड़ा : ‘जितिया के पारण का दिन था। उस वक्त मैं इजराइल के तेलअवीव स्थित अपने कमरे में चाय बना रहा था। तभी अचानक पूरा आसमान लगातार हुए राकेट हमलों से गूंज उठा। अचानक हुए इस हमले के बाद अफरातफरी मच गई और सभी सुरक्षित बचने को कमरों से निकलकर शेल्टर की ओर भागने लगे। मैं अपनी पत्नी व बच्चों को लेकर शेल्टर में चला गया। शेल्टर होम एक मोटे लोहे की चादर का बड़ा कमरा होता है, जिसमें लोगों के छिपने पर बिल्डिंग भी गिर जाए तो भी जान सुरक्षित रह सकती है। यहां कोई भी मकान बिना शेल्टर होम के नहीं बनाया जा सकता। वहां घर के नक्शे में शेल्टर होम होना अनिवार्य है।’
ये बातें, इजराइल के तेलअवीव से लौटे अभिषेक सिंह ने साझा की। अभिषेक के पिता शैलेश कुमार सिंह चिरेका से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनका परिवार वर्तमान में मिहिजाम में ही रहता। पिछले दो साल से अभिषेक अपनी पत्नी व बच्चे के साथ तेलअवीव में जाब कर रहे थे। अभिषेक इजराइल में रिसर्च इन कंप्यूटर पोस्ट डाक्टरल के पद थे तैनात। इजराइल पर हुए हमास के आतंकवादी हमले के बाद युद्ध की विभीषिका के बीच वह अपने परिवार के साथ 17 अक्टूबर को सुरक्षित भारत लौटे हैं।
16 हजार भारतीयों की हुई इजराइल से वापसी, जनरल वीके सिंह एयरपोर्ट पर किया रिसीव:-
अपनी पत्नी व बच्चे के साथ जामताड़ा के मिहिजाम लौटे अभिषेक ने बताया कि वे लोग 17 अक्टूबर को भारत लौटे, जहां दिल्ली एयरपोर्ट पर सेना के जनरल वीके सिंह ने उन्हें व अन्य इजराइल से लौटे भारतीयों को रिसीव किया। युद्ध शुरू होने के बाद 18 हजार भारतीयों को इजराइल से एयर लिफ्ट कर लाया गया है। अभिषेक ने बताया कि हमले के दिन इजरायल में हिब्रू नववर्ष 5784 पर 10 दिवसीय जश्न योम किप्पुर का अंतिम दिन था। ऐसे में अचानक से हुए इस हमले की किसी को तनिक भी भनक तक नहीं लगी और ज्यादा जानमाल का नुकसान इस देश और देशवासियों को झेलना पड़ा। कहा जिस गाजापट्टी से हमास के आतंकी हमले कर रहे हैं, वह जगह तेलअवीव से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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