Mahua Moitra Summon : टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन मामले में महुआ को फिर समन भेजा है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने महुआ मोइत्रा को आज 28 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन सांसद पद से निष्कासित महुआ मोइत्रा ने ईडी के समन पर पेश होने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वह चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, इसलिए समय की कमी है।
ED महुआ मोइत्रा को दो बार भेज चुकी समन
ईडी इससे पहले भी FEMA के तहत महुआ मोइत्रा को दो बार समन भेज चुकी है। इससे पहले महीने की शुरुआत में ईडी ने महुआ को समन भेजा था और उन्हें पूछताछ के लिए 11 मार्च को बुलाया था। वह पहले भी अपने आधिकारिक काम का हवाला देकर पेश नहीं हुईं।
Mahua Moitra Summon : किस मामले में पूछताछ करना चाहती है ED
बता दें कि ईडी उनसे विदेशी मुद्रा उल्लंघन (FEMA) मामले में पूछताछ करना चाहती है। उनके बयान के बाद कुछ फॉरेन ट्रांजैक्शन और एक एनआरआई (NRI) खाते से जुड़े लेन-देन भी एजेंसी की जांच के दायरे में हैं। महुआ के अलावा ED ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी को भी समन जारी कर आज पूछताछ के लिए बुलाया था। इससे पहले दर्शन के पिता निरंजन हीरानंदानी मुंबई में एजेंसी के सामने पेश हुए थे।
महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप क्या हैं?
दरअसल, पिछले साल BJP सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर महंगे गिफ्ट्स और पैसे लेने के बदले में कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। महुआ पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का भी आरोप लगा था। इसके बाद यह मामला लोकसभा की एथिक्स कमेटी में भेज दिया गया था, जहां पर महुआ दोषी पाई गई थीं।
इसके बाद महुआ को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। कैश फॉर क्वेरी केस में मुख्य रूप से चार किरदार रहे हैं। टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्राई और रियल एस्टेट कंपनी हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी।
महुआ मोइत्रा के बारे में
महुआ मोइत्रा इस केस की मुख्य पात्र हैं, जिन पर सारे आरोप हैं। TMC की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा मूलत: बैंकर हैं। बेसिक एजुकेशन के बाद मोइत्रा हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका गईं। बाद में उनकी नौकरी लंदन के एक प्रतिष्ठित बैंक में लगी। कुछ सालों में उनका नौकरी से मोह भंग हुआ और वे राजनीति में कूदीं। उन्होंने 2016 में पहला चुनाव पश्चिम बंगाल के करीम नगर विधानसभा से जीता था। 2019 में वे TMC के टिकट पर कृष्णानगर से लोकसभा चुनाव लड़ीं और जीतीं।