रांची: झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को एक पारिवारिक विवाद के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने मार्मिक और अहम बात कही। कोर्ट ने कहा कि पत्नी का भरण-पोषण करना पति का नैतिक धर्म है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि वैवाहिक जीवन शैली बनी रहे, इसके लिए पति पर इस हद तक बोझ डालना उचित नहीं कि शादी उसके लिए सजा बन जाए। यह टिप्पणी हाइकोर्ट ने धनबाद फैमिली कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिक की सुनवाई के दौरान कही।
फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति ने दायर की थी याचिका
झारखंड हाइकोर्ट दायर याचिक में पति ने कहा था कि वर्ष 2018 में उसकी शादी हुई। इसके कुछ दिनों के बाद ही उसकी पत्नी ने उनके ऊपर दहेज मांगने, घरेलू हिंसा का आरोप लगाई थी। साथ ही वह ससुराल से मायके में जाकर माता-पिता के साथ रहने लगी।
धनबाद कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट ने बदला
धनबाद फैमिली कोर्ट में पत्नी ने जो याचिका दायर की थी उसमें कहा था कि उनके पति काफी बड़े व्यापारी हैं। उन्हें कई व्यवसाय से पैसे आता है। उनके पति की महीने की कमाई करीब 12.5 लाख रुपए के करीब है। इसके बाद धनबाद फैमिली कोर्ट ने पति को पत्नी को 40 हजार रुपए भरण-पोषण के लिए देने को कहा था। धनबाद फैमिली कोर्ट के इस फैसला को हाइकोर्ट ने बदलते हुए 25 हजार रुपए भरण-पोषण के लिए देने का आदेश दिया है।
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