नई दिल्ली: इस्राराइल और हमास के बीच शुरू हुआ जंग 22वें दिन भी जारी है। इस दोरान इजराइली सेना (IDF) ने हमास की एयरफोर्स के हेड इस्साम अबू रुकबेह को मार गिराने का दावा किया है । सेना का दावा है कि मुताबिक 7 अक्टूबर को इस्राराइल में पैराग्लाइडिंग से हमले के लिए रुकबेह ही जिम्मेदार था। उसने ही इस घटना को अंजाम देने की शाजिस रची थी।
इस बीच IDF ने कहा है कि वो गाजा में जमीनी हमलों को बढ़ा रहे हैं। हवाई हमलों के दौरान भी हमास के अंडरग्राउंड ठिकानों को खासतौर पर टारगेट किया जा रहा है। विदित हो कि इस्राराइल ने शुक्रवार रात को हमास के ऐसे 150 ठिकानों पर हमले किए हैं। जिसकी वजह से गाजा के इलाके में कम्यूनिकेशन टूट गया है और इंटरनेट बंद हो चुका है और करीब 23 लाख लोग दुनिया से कट चुके हैं। इस्राराइल सेना की मानें तो हमास के लड़ाकों ने अस्पताल के नीचे अपने ठिकाने बना रखे हैं।
IDF ने बताया कि इस जमीनी हमले के दौरान उनके सैनिकों की हमास के लड़ाकों से मुठभेड़ भी हुई। इस बीच इस्राइल ने दावा किया है कि उसने शुक्रवार रात को बमबारी में गाजा में 150 से ज्यादा अंडरग्राउंड सुरंगों को निशाना बनाया।
UN में सीजफायर के लिए प्रस्ताव पास, भारत ने नहीं लिया हिस्सा:
इससे पहले UN की जनरल एसेंबली में शुक्रवार रात 2 बजे (भारतीय समयानुसार) इजराइल-हमास जंग रोकने का प्रस्ताव पास हुआ। प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, वहीं विपक्ष में 14 देशों ने वोटिंग की। भारत सहित 45 देशों ने वोट नहीं किया।
प्रस्ताव की कानूनी बाध्यता नहीं
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास द्वारा किए गए हमलों के बाद, संयुक्त राष्ट्र की यह पहली औपचारिक प्रतिक्रिया है। इससे पहले, यूएन सुरक्षा परिषद में चार अवसरों पर किसी कदम पर सहमति नहीं बन पाई थी। यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, मगर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बहुमत की राय को व्यक्त करता है।
हमास के हमले का नहीं था जिक्र, इसीलिए भारत ने बनाई दूरी:
मिली जानकारी के अनुसार इजराइल-हमास जंग रोकने का प्रस्ताव के वोटिंग के दौरान भारत गैरहाजिर था। बताया जा रहा है कि “नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी तथा मानवीय दायित्वों को कायम रखने” शीर्षक वाले प्रस्ताव में इजरायल पर हमास के हमले का कोई जिक्र नहीं था जिसकी वजह से भारत ने इससे दूरी बनायी. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और यूके भी भारत के साथ मतदान में हिस्सा नहीं लेने वाले देशों में शामिल रहे।
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