सेंट्रल डेस्क।India warned Pakistan and Turkey in UN : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआर) के 55वें नियमित सत्र में भारत ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान और तुर्की को कड़ा जवाब दिया है। 28 फरवरी 2024 को हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधि अनुपमा सिंह ने दोनों देशों द्वारा इस मुद्दे पर की गई टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
India warned Pakistan and Turkey in UN- भारत का आक्रोश
अनुपमा सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और किसी भी देश को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें कश्मीर मामले पर तुर्की द्वारा की गई टिप्पणी पर खेद है। यह भारत का आंतरिक मामला है। हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की भविष्य में हमारे आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचेगा।”
उन्होंने पाकिस्तान को भी कड़ी फटकार लगाई और कहा, “पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग कर रहा है। पिछले कई वर्षों से, पाकिस्तान ने विभिन्न मुद्दों पर कश्मीर का मुद्दा उठाया है। इस बार, दुर्भाग्य से, तुर्की ने भी पाकिस्तान का समर्थन किया है।”
अनुपमा सिंह ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के दमन का भी हवाला दिया और कहा, “एक ऐसा देश जो अपने ही अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न को संस्थागत बना देता है, उसका भारत पर टिप्पणी करना विडंबनापूर्ण है। अगस्त 2023 में पाकिस्तान के जारनवाला में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर क्रूरता इसका उदाहरण है।”
पाकिस्तान और तुर्की की टिप्पणियां
पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने यूएनएचआर में अपने संबोधन के दौरान कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने भी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता और विकास के लिए कश्मीर में न्याय के साथ शांति स्थापित करना जरूरी है।
भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी पाकिस्तान और तुर्की की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि “तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने से बचना चाहिए और भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।”
प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण
भारत का यह कड़ा रुख कई विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित नहीं करता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने कश्मीर मुद्दे पर अधिक मुखर रुख अपनाया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुख भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति को दर्शाता है।
हालांकि, अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह रुख कश्मीर में तनाव को बढ़ा सकता है। उनका तर्क है कि भारत को पाकिस्तान और तुर्की के साथ कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
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