स्पेशल डेस्क, नई दिल्ली: Good Friday 2024: दुनिया में जब-जब पाप बढ़ने लगता है, उस पाप को रोकने के लिए एक मसीहा जन्म लेता है। ईसाई धर्म में मान्यता है कि इंसानों को सही राह पर लाने के लिए मसीहियों के भगवान प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था।
ईसा मसीह के बलिदान दिवस को गुड फ्राइडे के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गुड फ्राइडे 29 मार्च (शुक्रवार) को पड़ रहा है। ईसा मसीह समाज में फैली बुराइयों को खत्म करने के लिए मनुष्यों को संदेश देते थे, जिसके कारण कुछ लोगों ने उनके खिलाफ अफवाह फैलाईं और उन्हें लोगों को भड़काने के आरोप में सूली (क्रॉस) पर चढ़ा दिया गया। वहीं, प्रभु यीशु मसीह ने अपना बलिदान देकर मानवता को प्रेम और शांति का संदेश दिया। यीशु मसीह के इसी बलिदान के दिन को गुड फ्राइडे के रूप में याद किया जाता है। ईसाई धर्म के लोग, जिन्हें मसीही भी कहा जाता है, गुड फ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान का दिन मानकर शोक मनाते हैं।
Good Friday 2024: इन नामों से भी जाना जाता है गुड फ्राइडे
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को क्रॉस पर चढ़ाया गया था, उस दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे का दिन था। इस दिन ईसाई धर्म के लोग चर्च में काले कपड़े पहनकर प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को याद करते हुए प्रेयर करते हैं। यह दिन यीशु मसीह का बलिदान दिवस होता है, इसलिए इस दिन चर्च में बेल नहीं बजाई जाती है, बल्कि लकड़ी से बने बॉक्स को बजाया जाता है।
Good Friday 2024: कुछ ऐसी है धार्मिक मान्यताएं
बाइबिल के अनुसार, जब यीशु मसीह को सूली यानी क्रॉस पर चढ़ाया जा रहा था, तो उन्होंने कहा कि ‘हे प्रभु इन्हें माफ करना, क्योंकि ये नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं’। वही ईसाई धर्म में प्रभु यीशु मसीह की इसी दयालुता को याद रखा जाता है और मानवता को यही संदेश दिया जाता है कि उन्हें अपने दिलों में शत्रु के लिए भी दया भाव रखना चाहिए। मन में दयालुता को हमेशा जिंदा रखना चाहिए।
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है ईस्टर संडे
ईसाइयों के पवित्र ग्रंथ बाइबिल में यह भी बताया गया है कि लगभग 6 घंटे तक यीशु मसीह को कीलों से ठोका गया था और फिर उन्हें लटकाया गया था। जब यह सब कुछ हो रहा था तो आखिर के 3 घंटे पूरे राज्य में अंधेरा छा गया था और यीशु मसीह के प्राण त्यागने के बाद कब्रें टूटने लगी थीं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, सूली पर चढ़ाने के तीन दिन बाद यीशु मसीह पुन: जीवित हो गए थे। उस दिन रविवार था। ऐसे में पूरी दुनिया में उसे ‘ईस्टर संडे’ के रूप में मनाया जाता है।
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