सेंट्रल डेस्क: Electoral Bonds Data Released: चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से मिला डेटा गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट में 763 पेजों की दो लिस्ट डाली गई है।
Electoral Bonds Data Released : लिस्ट मे है विस्तार से जानकारी
चुनाव आयोग की ओर से अपलोड डेटा के एक लिस्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की विस्तार से जानकारी दी गई है। दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले बॉन्ड का ब्यौरा है। वेबसाइट पर जो डाटा शेयर किया गया है, उसमें 12 अप्रैल 2019 के बाद से 1 हजार रुपये से 1 करोड़ रुपये कीमत के चुनावी बॉन्ड (ये बॉन्ड अब समाप्त हो चुके हैं) की खरीद संबंधी जानकारी दी गई है। इसमें उन कंपनियों और व्यक्तियों का ब्योरा दिया गया है, जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। साथ ही उन पार्टियों के भी डिटेल्स दिए गए हैं, जिन्हें ये चुनावी चंदा दिया गया था।
किसे मिला चुनावी चंदा और किसने दिया?
इलेक्शन कमीशन की ओऱ से साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि चुनावी बांड के माध्यम से चुनावी चंदा हासिल करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना, टीडीपी, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं। चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान देने वालों की लिस्ट में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा और अन्य शामिल हैं।
किसने राजनीतिक पार्टी को दिया कितना डोनेशन?
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड – 966 करोड़ रुपये
फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज – 1,368 करोड़ रुपये
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड – 377 करोड़ रुपये
भारती ग्रुप – 247 करोड़ रुपये
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड – 410 करोड़ रुपये
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 224 करोड़ रुपये
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन – 220 करोड़ रुपये
वेदांता लिमिटेड – 400 करोड़ रुपये
केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड – 194 करोड़ रुपये
मदनलाल लिमिटेड – 185 करोड़ रुपये
डीएलएफ ग्रुप – 170 करोड़ रुपये
यशोदा सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल – 162 करोड़ रुपये
उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल – 145.3 करोड़ रुपये
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड – 123 करोड़ रुपये
बिड़ला कार्बन इंडिया – 105 करोड़ रुपये
रूंगटा संस – 100 करोड़ रुपये
डॉ रेड्डीज – 80 करोड़ रुपये
पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप – 60 करोड़ रुपये
नवयुग इंजीनियरिंग – 55 करोड़ रुपये
शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स – 40 करोड़ रुपये
एडलवाइस ग्रुप – 40 करोड़ रुपये
सिप्ला लिमिटेड – 39.2 करोड़ रुपये
लक्ष्मी निवास मित्तल – 35 करोड़ रुपये
मैनकाइंड फार्मा – 24 करोड़ रुपये
ग्रासिम इंडस्ट्रीज – 33 करोड़ रुपये
जिंदल स्टेनलेस – 30 करोड़ रुपये
बजाज ऑटो – 25 करोड़ रुपये
बजाज फाइनेंस – 20 करोड़ रुपये
सन फार्मा लैबोरेटरीज – 25 करोड़ रुपये
टीवीएस मोटर्स – 10 करोड़ रुपये
मारुति सुजुकी इंडिया – 20 करोड़ रुपये
अल्ट्राटेक – 15 करोड़ रुपये
15 फरवरी को लगाई गई थी बॉन्ड की बिक्री पर रोक
बता दें, चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा 15 मार्च को शाम 5 बजे तक आधिकारिक वेबसाइट पर शेयर करने के लिए कहा गया था। आयोग ने एक दिन पहले ही वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एसबीआई को मंगलवार शाम तक इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा सौंपने को कहा था। SBI ने मंगलवार शाम 5.30 बजे चुनाव आयोग को डेटा सौंप दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को इसे सार्वजनिक किया। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाई थी और 12 मार्च शाम तक यह डिटेल देने का निर्देश दिया था।