स्पेशल डेस्क/Deaths in India due to Heat wave: दुनिया भर में प्रति वर्ष 1.53 लाख से अधिक मौतें भीषण गर्मी या लू के कारण होती हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 20 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आयी है। पिछले 30 वर्षों से अधिक के आंकड़ों के आधार पर यह अध्ययन किया गया। भारत के बाद चीन और रूस का स्थान है, जिनमें से प्रत्येक में क्रमशः लगभग 14 फीसदी और 8 फीसदी मौतें भीषण गर्मी से जुड़ी होती हैं।
Deaths in India due to Heat wave: मोनाश विश्वविद्यालय ने किया है शोध
मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के शोध में पाया गया कि लू से जुड़ी मौतें गर्मी से संबंधित सभी मौतों का लगभग एक-तिहाई और वैश्विक स्तर पर कुल मौतों का एक प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि हर साल गर्मियों में होने वाली कुल 1.53 लाख अतिरिक्त मौतों में से लगभग आधी एशिया में और 30 प्रतिशत से अधिक यूरोप में होती हैं।
प्रति दस लाख लोगों पर हुईं 236 मौतें
शोधकर्ताओं ने लिखा है, वर्ष 1990 से 2019 तक गर्म मौसम के दौरान लू से संबंधित अतिरिक्त मौतों के कारण प्रति वर्ष 1,53,078 मौतें हुईं। इस तरह प्रति दस लाख निवासियों पर कुल 236 मौतें हुईं। अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन स्थित मल्टी-कंट्री मल्टी-सिटी (एमसीसी) सहयोगात्मक अनुसंधान नेटवर्क के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। इसमें 43 देशों के 750 स्थानों पर दैनिक स्तर पर मौतें और तापमान का विवरण शामिल है।
हर दशक बढ़ा है तापमान
अध्ययन में 2019 तक के दशक की तुलना 1999 तक के दशक से करने पर दुनिया भर में हर साल भीषण गर्मी की अवधि औसतन 13.4 से 13.7 दिनों तक बढ़ी हुई पाई गई, जिसमें हर दशक में वातावरण का औसत तापमान 0.35 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले अध्ययन ने स्थानीय स्तर पर लू या भीषण गर्मी के कारण अधिक मौतों की संख्या निर्धारित की है, लेकिन लंबी अवधि में दुनिया भर में इन अनुमानों की तुलना नहीं की है।
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