जम्मू कश्मीर : लद्दाख के सियाचिन में ऊंचे बर्फीले पर्वतों के युद्धक्षेत्र में देश की रक्षा के लिए तैनात अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। वह महाराष्ट्र के रहने वाले थे। लेह स्थित सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इसकी जानकारी दी है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे सहित सभी रैंक के अधिकारियों ने महाराष्ट्र के अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया।
सियाचिन में ड्यूटी निभाते हुए देश के पहले अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण शहीद
रविवार को भारतीय सेना ने अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण को श्रद्धांजलि दी। वह के पद पर कार्यरत थे। सियाचिन ग्लेशियर के दुर्गम इलाके में ड्यूटी के दौरान उन्होंने अपनी जान गंवा दी थी। अग्निवीर (संचालक) गावटे अक्षय लक्ष्मण पहले अग्निवीर हैं, जिन्होंने ऑपरेशन में अपने प्राणों की आहुति दी है।
अग्निवीर लक्ष्मण के शहीद होने पर श्रद्धांजलि
भारतीय आर्मी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा,“जनरल मनोज पांडे सीओएएस और भारतीय सेना के सभी रैंक सियाचिन की कठिन ऊंचाइयों पर कर्तव्य की पंक्ति में अग्निवीर (ऑपरेटर) गावटे अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं। दुख की इस घड़ी में सेना शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है।” फायर एंड फ्यूरी कोर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के सभी अधिकारी सियाचिन की दुर्गम ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गवते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।’’
सेना प्रमुख ने श्रद्धांजलि दी
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और बल के सभी रैंक के कर्मियों ने महाराष्ट्र के अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण की मौत पर शोक व्यक्त किया है। सेना प्रमुख ने और भारतीय सेना के सभी रैंक के अधिकारियों ने सियाचिन की दुर्गम ऊंचाइयों पर ड्यूटी करते हुए शहीद हुए अग्निवीर गवते अक्षय लक्ष्मण को श्रद्धांजलि दी है। भारतीय सेना शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़े है।
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर
बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई वाला वॉर इलाका है। सियाचिन भारत पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के पास है। यह ग्लेशियर भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। काराकोरम पर्वतीय श्रृंखला में लगभग 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन हिमनद को दुनिया के सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को अत्यधिक ठंड और तेज हवाओं से जूझना पड़ता है।
इससे पहले एक अग्निवीर ने की थी आत्महत्या
बता दें कि इससे पहले 11 अक्टूबर को पुंछ सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। सेना ने बताया था कि हर साल करीब 140 जवान आत्महत्या या चोटों के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसी स्थिति में सेना की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाता है। अग्निवीरों को शहीद का दर्जा देने को लेकर पिछले दिनों काफी विवाद रहा था। सेना को तीन दिन बाद बयान जारी करना पड़ा। सेना ने कहा- अमृतपाल ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली थी। अमृतपाल के अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया, क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों से होने वाली मौत के मामले में यह सम्मान नहीं दिया जाता है।
ड्यूटी के दौरान निधन होने पर मिलेगा बीमा का रकम
सेना के नियम के मुताबिक, जॉइनिंग के पहले साल में अग्निवीरों को 4.76 लाख रुपए का पैकेज मिलता है। वहीं 4 साल का कार्यकाल खत्म होने तक इसे 6.92 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। यानी अग्निवीरों को हर महीने 30 हजार से 40 हजार सैलरी मिलती है। इसके अलावा तीनों सेनाओं के स्थायी सैनिकों की तरह अवॉर्ड, मेडल, भत्ता मिलेगा। वहीं सरकार 44 लाख का बीमा भी कराएगी। ड्यूटी के दौरान अगर अग्निवरी का निधन हो जाता है तो उन्हें बीमा की रकम मिलेगी। इसके अलावा उनके बचे हुए कार्यकाल का वेतन भी मिलेगा।
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