जमशेदपुर/ Srijan Samvad: शहर की साहित्य, सिनेमा एवं कला की संस्था ‘सृजन संवाद’ की 135वीं संगोष्ठी का आयोजन स्ट्रीमयार्ड तथा फ़ेसबुक लाइव पर किया गया। वृहस्पतिवार शाम छह बजे जाने-माने अनुवादक ओमा शर्मा तथा कुशल अनुवादक अमृता बेरा प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित थीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नेहा तिवारी ने किया। परिचय का दायित्व कहानीकार गीता दूबे ने लिया तथा वैभव मणि त्रिपाठी ने स्ट्रीमयार्ड संभाला। स्वागत करते हुए ‘सृजन संवाद’ कार्यक्रम की संयोजिका व कुशल अनुवादक डॉ. विजय शर्मा ने अनुवादक की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रत्येक रचना की भांति प्रत्येक अनुवाद भी अपनी चुनौतियां साथ लाता है। अनुवाद के लिए दोनों भाषाओं के अलावा दोनों संस्कृतियों का ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने वक्ताओं, श्रोताओं, दर्शकों, संचालक, परिचयकर्ता का स्वागत करते हुए कहा कि ‘सृजन संवाद’ के मंच से दोनों अनुवादक प्रश्नोत्तर शैली में अपने-अपने अनुभव और चुनौतियों को सबके साथ साझा करेंगे। गुजरात से ओमा शर्मा एवं दिल्ली से अमृता बेरा ने अपने अनुभव सुनाए।
ओमा शर्मा ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि वे औचक इस विधा में प्रवेश कर गए। उन्होंने स्टीफ़न स्वाइग की ‘एक अनजान औरत का खत’ पढ़ी तो फ़िर स्वाइग को खोज-खोज कर पढ़ते चले गए। उन्हें लगा कि हिंदी में इस विशिष्ट रचनाकार को आना चाहिए, सो उन्होंने उसका अनुवाद प्रारंभ किया और इस प्रक्रिया में वे वियेना तथा उन स्थानों पर गए, जहां स्वाइग रहा था।
अमृता बेरा ने कहा कि वे जादुई तरीके से अचेतन रूप से इस विधा में शामिल हो गईं। वे कविताएं पढ़ती और रचती थीं। ये कविताएं दूसरी भाषा में उनके मन-मस्तिष्क में चलने लगीं। उनके अनुवाद की किताब भी औचक प्रकाशित हुई। फ़िर सिलसिला चल निकला। उनके अनुसार अनुवाद से आपका नजरिया, आपकी प्रतिबद्धता पता चलती है। यूरोप और अन्य कई देशों में अनुवाद को बहुत गंभीर ढंग से लिया जाता है, हमें भी इस दिशा में गंभीर होने की आवश्यकता है, ऐसा ओमा शर्मा ने बताया।
दोनों रचनाकारों ने श्रोताओं-दर्शकों के रोचक एवं महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए। वैभव मणि त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। डॉ. विजय शर्मा ने दोनों वक्ताओं के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए उनके भविष्य की शुभकामना की।
कार्यक्रम में सृजन संवाद फ़ेसबुक लाइव के माध्यम में देहरादून से सिने-समीक्षक मनमोहन चड्ढा, बनारस से जयदेव दास, गुजरात से कांजी पटेल, ईशु नानगिया, गोमिया से प्रमोद बर्नवाल, जमशेदपुर से करीम सिटी-मॉसकॉम प्रमुख डॉ. नेहा तिवारी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. मीनू रावत, गीता दुबे, आभा विश्वकर्मा, रांची से तकनीकी सहयोग देने वाले ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ फ़ेम के वैभव मणि त्रिपाठी, पत्रकार ब्रजेश मिश्रा, गोरखपुर से पत्रकार अनुराग रंजन, बेंगलुरु से पत्रकार अनघा, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, चितरंजन से डॉ. कल्पना पंत आदि उपस्थित थे। ‘सृजन संवाद’ की अप्रैल मास की गोष्ठी (136वीं) उपन्यासों पर होगी।