स्पेशल डेस्क। बीते शुक्रवार बिग बॉस ओटीटी सीजन 2 के विजेता और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर एलविश यादव पर एक गंभीर आरोप के वजह से एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर यह आरोप लगाया गया था कि वह जिंदा सांप रखते हैं और रेव पार्टियों में जहरीले सांपों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इस मामले ने लोगों के बीच यह उत्सुकता पैदा कर दी कि नशे के और कौन-कौन से तरीके हो सकते हैं, जो लोग इस्तेमाल करते हैं। तो आज हम आपको बताएंगे कि और कौन-से ऐसे जानवर हैं, जिनकी मदद से नशे किए जा रहे हैं। जानवरों के अलावा कई ऐसे पदार्थ हैं, जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं कि उसे नशा हो सकता है। लोगों की क्रिएटिविटी इतनी बढ़ गई है कि वह नशे के लिए ‘कॉन्डम’ का प्रयोग भी करने लगे हैं। इस रिपोर्ट के जरिए समझें नशे का पूरा खेल।
नशे का खतरनाक खेल/ सांप और बिच्छू का इस्तेमाल :
आजकल लोग मनोरंजन और अन्य नशीले पदार्थों के रूप में सांप और बिच्छू जैसे रेप्ट्टाइल्स के जहर का इस्तेमाल कर रहे हैं। रेव पार्टियों में अक्सर सांप और बिच्छू का इस्तेमाल नशे के लिए होता है। सांप के डसने के समय चुभन-सी महसूस होती है और उसके 10 से 40 सेकंड के बाद, एक सुखद एहसास होता है, जिसे शायद शब्दों में बयां करना मुश्किल होगा। जहर लेने के बाद अक्सर लोगों को 12 से 24 घंटे तक के लिए नींद आ जाती हैं, वहीं इसका नशा मानव शरीर में 5-7 दिनों तक रह सकता है। यह चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, यह नशा का खेल जितना खतरनाक है उतना ही डिमांड भी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई बार ऐसे जहरीले सांपों के इस्तेमाल से लिए गए नशे से मौत भी हो जाती है। जहरीले सांप और बिच्छू से नशा करने वाली यह ट्रेंड इसीलिए तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि यह बाकी ड्रग्स के मुकाबले सस्ता भी है और शक्तिशाली भी। स्नेक बीटिंग के लिए सबसे ज्यादा पसंद करने वाला सांप कोबरा, करैत, रैट स्नेक और ग्रीन बेल स्नेक है।
मेंढ़क की ग्रंथियों का उपयोग :
मेंढक की कुछ ऐसी प्रजातियां हैं, जो नशे के काम आती हैं जैसे-सोनोरन डेजर्ट तोड। मेंढक के ग्रंथियां में 5-MeO-DMT के नाम का नेचुरल साइक्रेडेलिक सब्सटेंस बनता है, जिसका इस्तेमाल स्मोकिंग के लिए करते हैं या फिर कई लोगों से चाटकर भी खाते हैं। मेंढ़क की ग्रंथियों का उपयोग नशे के उद्देश्यों के लिए खतरनाक हो सकता है और यह सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस प्रकार की गतिविधियां आमतौर पर हानिकारक होती हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं, जैसे कि न्यूरोलॉजिकल परेशानियां और शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएं। बॉक्सिंग के प्रमुख लीजेंड माइक टायसन कहते हैं कि जब उन्होंने पहली बार तोड विष लिया था तब उन्हें मृत्यु जैसा महसूस हो रहा था। इस तरह के नशे हमेशा बेहतरीन एक्सपीरियंस के लिए लिए जाते हैं और इसे लेने के बाद यूफोरिया यानी की परम सुख की प्राप्ति जैसा महसूस होता है।
फ्लेवर कॉन्डम का नशा:
हाल ही में एक घटना सामने आई है, जो कि पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर की है। वहां अचानक फ्लेवर्ड कंडोम की बिक्री बढ़ गई। दुर्गापुर के साथ-साथ कई अन्य शहरों से भी खबरें आईं। जांच में खुलासा हुआ कि फ्लेवर्ड कंडोम का इस्तेमाल नशे के लिए हो रहा है। इसका कारण यह है कि यह आसानी से बाजार में उपलब्ध है और यह अन्य नशीली प्रदाथ के मुकाबले सस्ता है। लोग मार्केट से फ्लेवर्ड कंडोम लेते हैं और उसे एक घंटे तक गर्म पानी में भिगोकर रख देते हैं।एक घंटे बाद उस पानी को पी लेते हैं, जिसका नशा उनको करीब 10 से 12 घंटे तक रहता है, यह चलन ज्यादा तर हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट में है। एक्सपर्ट के मुताबिक, कंडोम नेचुरल रबर के एक कंपोनेंट पॉलीआसोप्रीन से बनता है। इसकी ड्यूरेबिलिटी और खिचाव बढ़ाने के लिए सिंथेटिक रेजिन पॉलीयुरेथन का प्रयोग किया जाता है। यह एक सुगंधित कंपाउंड है, जो नशीला प्रभाव पैदा करता है।
मशरूम का नशे में इस्तेमाल :
मशरूम कई तरह के होते उन में कुछ खास मशरूम में साइलोसाइबिन व पेयोट पाया जाता है। इसे हम मैजिक मशरूम के नाम से भी जानते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा साइक्लोबिन मैजिक मशरूम को 1971 एक दवा के रूप में रखा था। इसे खाने के कई तरीके हैं। लोग इसे सीधा खाने में शामिल करते हैं या इसकी चाय बना कर पीते हैं। इसके खाने के 20 मिनट बाद असर शुरू होता है, जो अगले करीब 6 घंटे तक रहता है। इसके नशे की वजह से आंखों के सामने एक अलग काल्पनिक दुनिया दिखने लगती है। दिमाग भ्रम होता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से पैनिक हो सकता है व शरीर पर कई अन्य बुर प्रभाव भी पड़ता है।
बाथ साल्ट :
बाथ साल्ट एक तरह का ड्रग है, जो बहुत ही आसानी से मार्केट में मिल जाता है और इस ड्रग टेस्ट में पकड़ना भी बेहद मुश्किल है। इसके इसी गुण की वजह से यह हालिया ड्रग ट्रेंड में अव्वल हो गया है। दिखने में यह क्रिस्टललाइन पाउडर के तरह उपलब्ध होता है, जिसे ब्लूम, क्लाउड नाइन और आइवरी वेव भी कहते हैं। कई लोग इसे डायरेक्ट निकल जाते हैं, तो कई इसे अपने नाक की सहायता से खींचते या फिर इंजेक्ट करते हैं। यह ड्रग लेने के बाद शरीर में डोपामाइन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे परम सुख होने की अनुभूति मिलती है। लंबे समय तक बात साल्ट लेने से पैनिक अटैक, ब्लड प्रेशर और किडनी फेलियर की समस्या हो जाती है।
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