धनबाद : बहुत पुरानी बात नहीं है जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोग केले के तने से बांस की फंटियों को जोड़कर और उसपर गोबर रखकर दीये रखने के लिए आधार बनाते थे। इन्हीं गोबर के आधार पर दीये रखकर घरों के बाहर मिट्टी के दीयों की लड़ी दूर तक नजर आती थी। एक बार फिर देसी उत्पाद की ओर लोग लौट रहे हैं।
देसी उत्पाद का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने से स्थानीय लोगों की मेहनत को तो पहचान मिलती ही है, उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने में भी मदद मिलती है।
श्रीहरि गोग्राम योजना को मिल रहा बाजार
देसी उत्पाद को लोगों तक पहुंचाने और इनके उपयोग के लिए उन्हें प्रेरित करने के उद्देश्य के साथ धनबाद के एकल श्रीहरि गोग्राम योजना सामाजिक समरसता, स्वाभिमान एवं स्वावलंबन जागृत करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस योजना के तहत पहले सुदूर ग्रामीणों को गोबर से दीया बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद अब उत्पादन भी शुरू हो चुका है। इनके उत्पाद को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
बाजार से कीमत कम, शुद्धता की गारंटी
एकल श्रीहरि गोग्राम योजना की ओर से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं गाय के गोबर से दीया, मांगलिक चिह्न, धूप बत्ती आदि गो उत्पाद बना रही हैं। खास बात यह है कि ये सामग्री लोगों को बाजार मूल्य से किफायती दर पर उपलब्ध हो रही है है।
धनबाद क्षेत्र के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों जैसे ढांगी बस्ती, पूर्वी टुंडी, पश्चिमी टुंडी, तोपचांची, राजगंज, पारसनाथ, कतरास, बलियापुर, सिंदरी, चास एवं गोविंदपुर में ये गोबर के दीये तैयार किए जा रहे हैं।
जैविक रंगों से रंगे जा रहे ये उत्पाद
कहीं भी कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग नहीं किया जा रहा है। गाय के गोबरे बने दीयों व अन्य उत्पादों को ढांगी गांव एवं अन्य एकल गोग्राम में आकर्षक जैविक रंग से भी रंगा जा रहा है।
इसलिए गाय के गोबर से निर्मित ये दीये पूर्णरूप से जैविक हैं। धनबाद केंद्र से ही पूरे देश में गाय के गोबर से निर्मित दीये और धूपबत्ती की आपूर्ति भी की जा रही है। मुंबई, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में इनकी आपूर्ति की जा रही है।
पूरे देश को गोवंश व किसानों से जोड़ने की योजना
एकल श्रीहरि गोग्राम योजना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केदारनाथ मित्तल बताते हैं कि याजना के तहत एकल अभियान के माध्यम से एक-एक परिवार से संपर्क किया जा रहा है।
नतक गो उत्पाद पहुंचाया जा रहा है। पूरे देश को गोवंश और किसान से सीधा जोड़ने की विराट योजना है। ऐसा करने के पीछे महिला सशक्तीकरण भी एक प्रमुख उद्देश्य है।
हर दस गांव में बनाया गया है एक केंद्र
एकल अभियान के तहत हर 10 गांव पर एक केंद्र बनाया गया है। इनमें पूर्वी टुंडी, पश्चिमी टुंडी, तोपचांची, राजगंज, पारसनाथ, कतरास, बलियापुर, सिंदरी, चास एवं गोविंदपुर आदि हैं। धनबाद के आसपास 100 एकल विद्यालय ग्राम में गोग्राम योजना के तहत कार्य चल रहा है।
छोटे गांव एवं बस्तियों को जोड़ते हुए ढांगी गांव को केंद्र बनाया गया है। यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है। इन उत्पादों के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए तीन साइज में आकर्षक गिफ्ट हैंपर पैकेट भी तैयार किए गए हैं। ये 250 से 800 रुपये में उपलब्ध हैं। दीये की कीमत पांच रुपये से शुरू है।
इस तरह तैयार किए जा रहे उत्पाद
ढांगी गांव स्थित केंद्र में गोबर पीसने वाली मशीन लगाई है। गांव में एकत्रित देसी गोवंश के गोबर पूरे धनबाद शहर की बस्तियों में भेजे जा रहे हैं। वहां दीयों निर्माण किया जाता है।
इसके बाद ढांगी एवं अन्य एकल गोग्राम गांव में दीयों को जैविक रंग से भी रंगकर आकर्षक बनाया जा रहा है। गोबर के दीयों के अलावा साथ धूप बत्ती का भी निर्माण इन केंद्रों पर किया जाता है।
ऐसे तैयार की जा रही धूप बत्ती
इन केंद्रों पर धूपबत्ती बनाने में भी देसी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। गोबर में भीमसेनी कपूर, गुग्गुल, लोबान, नीम का पाउडर, धुना, चंदन पाउडर आदि आयुर्वेदिक वस्तुओं को मिलाया जाता है।
इस धूपबत्ती की मांग भी लगातार बढ़ रही है। यह शुद्धता का एक अलग अहसास भी कराता है। कुल मिलाकर चाइनीज आइटम को ना कर देसी उत्पाद को अपने घर में जगह देने की चाह रखनेवालों के लिए ये उत्पाद अच्छे विकल्प के रूप में सामने हैं।