हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : अगर आपको बार-बार पेशाब आ रही या फिर पेशाब में खून आ रहा है तो उसे नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करें। किसी चिकित्सक से संपर्क कर परामर्श लें। कई बार लोग देर कर देते हैं जिसका परिणाम घातक होता है। दरअसल, यह लक्षण किडनी कैंसर का है। एक लाख लोगों में तीन को किडनी कैंसर होता है। आइए, इसके बारे में कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट ऑन्कोलॉजिस्ट व रोबोटिक सर्जन डॉ. तरुण जिंदल से विस्तार से जानते हैं।
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एक लाख में तीन को होता किडनी कैंसर
डॉ. तरुण जिंदल कहते हैं कि देश में एक लाख लोगों की अगर जांच की जाए तो उसमें 3 किडनी कैंसर के मरीज मिल जाएंगे। हाल के दिनों में देखा जाए तो इसके मरीज काफी तेजी से बढ़े हैं। पहले आम धारणा थी कि किडनी कैंसर होने पर ऑपरेशन में मरीज के गुर्दे को निकालना पड़ता है। लेकिन अब सर्जरी इतनी आसान हो गई है कि 90 प्रतिशत किडनी कैंसर के रोगों में गुर्दे को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है। 10 प्रतिशत कैंसर के केसों में ही किडनी निकाला जाता है, क्योंकि ऐसे मरीज चौथे स्टेज में डॉक्टर के पास आते हैं।
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इन्हें अधिक सतर्क होने की जरूरत
डॉ. तरुण जिंदल कहते हैं कि अब अधिक से अधिक मरीजों की किडनी बचा ली जाती है। वहीं, डायबिटीज, अनियंत्रित बीपी, बाहर का खानपान, प्रदूषण, परिवार में किसी को कैंसर की पृष्ठभूमि रही हो तो उन्हें अधिक सतर्क होने की जरूरत होती है। ऐसे लोगों में किडनी का कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है।
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तीसरे स्टेज तक ठीक हो जाता कैंसर
डॉ. तरुण जिंदल कहते हैं कि एक से लेकर तीसरे स्टेज का कैंसर दवा व सर्जरी से ठीक हो जाता है। वहीं, चौथे स्टेज में बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इस दौरान मरीज को दवा देकर उनके लाइफ को आगे बढ़ाया जा सकता है।
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किडनी के कैंसर में लक्षण सामने नहीं आता
डॉ. तरुण जिंदल कहते हैं यह एक ऐसा कैंसर है, जो शरीर में छिप कर बैठा रहता है और दर्द भी नहीं करता। इसका सबसे सामान्य लक्षण पेशाब में खून आना है। इस दौरान तत्काल किसी कैंसर रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, पहले से अब लोगों में जागरूकता काफी बढ़ी हैं। मरीज पहले व दूसरे स्टेज में अधिक पहुंच रहे हैं, जो अच्छी बात है। अब 20 प्रतिशत मरीज ही ऐसे हैं जो चौथे स्टेज में पहुंच रहे हैं। बाकी 80 प्रतिशत मरीज स्टेज एक से तीन तक के बीच पहुंचते हैं।
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महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से बच सकती है
कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल की गायनी ऑन्कोलॉजिस्ट एवं रोबोटिक सर्जन डॉ. मोनिका मीना कहती हैं कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर काफी अधिक देखा जाता है। हालांकि, अब इस कैंसर का टीका बाजार में उपलब्ध हो गया है। जिसे लेकर महिलाएं इस कैंसर से बच सकती है। इसका टीका उम्र 9 से 14 साल की किशोरियों को 6 महीने के अंतराल में दो डोज लगती हैं। वहीं 15 से 45 साल उम्र की महिलाओं को तीन डोज लगती हैं। सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में महिलाओं के लिए दूसरी सबसे घातक बीमारी है।
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रोबोटिक सर्जरी काफी कारगर
डॉ. मोनिका मीना कहती हैं कि अब रोबोटिक सर्जरी से गायनी संबंधी किसी भी कैंसर की सर्जरी काफी आसान हो गया है। इसमें ब्लड ल़ॉस कम होता है। मरीज को ऑपरेशन के कुछ ही घंटे के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। मात्र कुछ छेद के जरिए यह सर्जरी होती है, जिससे मरीज को कम से कम दर्द होता है। ऑपरेशन के बाद चार-पांच दिनों में वह काम पर जा सकता है। खर्च में ओपन सर्जरी की तुलना रोबोटिक सर्जरी में एक से सवा लाख तक का अंतर आता है। इस सर्जरी के माध्यम से अधिक से अधिक मरीजों की जान बच रही है।
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