सेंट्रल डेस्क: स्कूली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड बांटने की योजना को लेकर नेशनल पॉलिसी तैयार कर ली गई है। केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को दी। साथ ही आम लोगों की राय जानने के लिए कोर्ट से 4 हफ्ते का समय भी मांगा। स्कूलों में कक्षा 6 से 12 की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध करवाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबध में ड्राफ्ट पॉलिसी बनाई गई है।
मुफ्त सैनिटरी पैड के साथ स्कूलों में पर्याप्त वाशरूम
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की नीति से सभी स्कूलों में लड़कियों के लिए पर्याप्त वाशरूम और सबको मुफ्त सैनेटरी नेपकिन उपलब्ध हो सकेगी। याचिका में सरकारी और अनुदान से चलने वाले आवासीय स्कूलो में लड़कियों को सैनिटरी पैड देने के अलावा अलग टॉयलेट बनवाने की मांग भी की गई है।
छात्राओं के संख्या के अनुपात में टॉयलेट का निर्माण
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन बांटे जाने की प्रक्रिया एक समान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में लड़कियों की संख्या के अनुपात में टॉयलेट का निर्माण कराने के लिए नेशनल मॉडल बनाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
इस मामले में 10 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक समान पॉलिसी बनाकर पेश करने को कहा था। इसके लिए कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया था।
हालांकि, केंद्र यह पॉलिसी करीब 7 महीने बाद ड्राफ्ट कर पाया। 10 अप्रैल की सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्कूलों में लड़कियों के टॉयलेट की उपलब्धता और सैनिटरी पैड की सप्लाई को लेकर जानकारी भी मांगी थी।
साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैनिटरी पैड और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए किए गए खर्च का ब्योरा देने को भी कहा था।
इसके बाद 24 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन राज्यों को चेतावनी दी, जिन्होंने तब तक फ्री सैनिटरी नैपकिन देने के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने पर केंद्र को अपना जवाब नहीं सौंपा था। कोर्ट ने कहा कि अगर वे 31 अगस्त तक जवाब नहीं देते हैं, तो सख्ती की जाएगी।
ड्राफ्ट किया गया तैयार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि वो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बात कर ऐसी राष्ट्रीय नीति अपनाए, जिसे देश भर के स्कूलों में छात्राओं के मासिक धर्म स्वच्छता के लिए लागू किया जा सके।
स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध करवाने और उनके लिए अलग से टॉयलेट सुनिश्चित करने की याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्कूली छात्राओं की मेंस्ट्रुअल हाइजीन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।
लड़कियों के सुरक्षा पर जताई गई थी चिंता
सोशल वर्कर जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके लड़कियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता जताई थी। याचिका में बताया था कि पीरियड में होने वाली दिक्कतों के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके परिवार के पास पैड पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते हैं और कपड़ा यूज करके उन दिनों में स्कूल जाना परेशानी का कारण बनता है।
स्कूलों में भी लड़कियों के लिए फ्री पैड की सुविधा नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, स्कूलों में यूज्ड पैड को डिस्पोजल करने की सुविधा भी नहीं है, इस वजह से भी लड़कियां पीरियड्स में स्कूल नहीं जा पातीं।