हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर/Doctors Donated Money to Save Life: धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने एक मिसाल कायम की है, जिसकी सराहना चारों तरफ हो रही है। दरअसल, कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में 17 साल की एक किशोरी इलाज कराने पहुंची। इस दौरान किशोरी दर्द से बहुत परेशान थी। इसे देखते हुए चिकित्सकों ने जांच की तो पता चला कि उसकी रीढ़ की हड्डी में कोई नस दब गई है, जिसके लिए सर्जरी करनी होगी।
Doctors Donated Money to Save Life: घंटों मंथन के बाद लिया गया सर्जरी का निर्णय
एमजीएम में स्पाइन की सर्जरी नहीं होती थी, जिसे लेकर हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वाई सांगा ने एक बैठक बुलाई। इसमें सर्जरी से संबंधित सभी बिंदुओं पर चर्चा की गई और मरीज के परिजनों को भरोसा में लेकर सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। चूंकि, मरीज को तत्काल सर्जरी की जरूरत थी और रांची रिम्स जाने पर इलाज में काफी देर हो जाती। ऐसे में चिकित्सकों ने सभी बिंदुओं को मरीज के परिजनों को समझाया तो वे तैयार हो गए।
Doctors Donated Money to Save Life: मरीज के पास नहीं था पैसा
इस दौरान जब चिकित्सकों ने मरीज के परिजनों को बाहर से सर्जरी के लिए दवा व उपकरण खरीद कर लाने को कहा, तो परिजनों ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि उनके पास पैसा नहीं है। इससे चिकित्सक भी सोचने पर मजबूर हो गए। इसके बाद चिकित्सकों ने आपस में चंदा एकत्रित कर बाहर से दवा व जरूरी सामग्री मंगाई। तब जाकर सफल ऑपरेशन हो सका। अब किशोरी की स्थिति पहले से बेहतर है।
Doctors Donated Money to Save Life: देर होने से किशोरी की चली जाती जान
हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. वाई सांगा ने कहा कि किशोरी दीवार से गिर गई थी। इससे उसकी रीढ़ की हड्डी में कोई नस दब गई थी। इस कारण किशोरी शौच नहीं कर पा रही थी। वह चलने-फिरने में भी असमर्थ थी। इस दौरान अगर किशोरी को रांची रिम्स रेफर किया जाता तो वहां भीड़ अधिक होने की वजह से आपरेशन में देर होती। इसे देखते हुए एमजीएम में ही ऑपरेशन किया गया। यहां पहली बार स्पाइन की सर्जरी हुई, जो सफल रही। उन्होंने कहा कि समय पर सर्जरी नहीं होने से मरीज की जान भी चली जाती। मरीज के इलाज पर लगभग दो लाख रुपये का खर्च आया है।
Doctors Donated Money to Save Life: ढाई घंटे तक चली सर्जरी
मरीज की सर्जरी लगभग ढाई घंटे तक चली। सर्जरी करने में डॉ. वाई सांगा, डॉ. विभाष चंद्रा, डॉ. अभिजीत शर्मा, डॉ. प्रवीण, डॉ. निहारिका, डॉ. सिमरन, डॉ. राजन, डॉ. नितेश, डॉ. जंलधर, डॉ. सूरज, डॉ. नसरुद्दीन, डॉ. गणेश आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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