हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानसिक रोग के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इस बार का थीम-‘मानसिक स्वास्थ्य सार्वभौमिक मौलिक अधिकार है’ रखा गया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड में मनोचिकित्सक डॉक्टरों की
भारी कमी है। कोल्हान प्रमंडल की बात करें तो यहां की आबादी लगभग 52 लाख है लेकिन मनोचिकित्सकों की संख्या मात्र तीन है। ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे होगा, यह बड़ा सवाल है।
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सरायकेला व पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक भी मनोचिकित्सक नहीं
सरायकेला-खरसावां व पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक भी मनोचिकित्सक डाक्टर नहीं है। सिर्फ पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन मनोचिकित्सक हैं। इसमें दो परसुडीह स्थित सदर अस्पताल व एक एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तैनात हैं। इन चिकित्सकों के ऊपर भारी दबाव है। सदर अस्पताल के मनोचिकित्सक ओपीडी में मरीजों को देखने के साथ-साथ सरायकेला-खरसावां व पश्चिमी सिंहभूम जिला में भी सेवा देने जाते हैं।
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कोल्हान में हर साल पांच हजार से अधिक मरीजों की संख्या बढ़ रही
कोल्हान में हर साल पांच हजार से अधिक मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही हैं। इसका मुख्य कारण तनाव है। कार्यस्थल पर तनाव को कम करने की जरूरत है। वहीं, कोरोना के बाद मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं। चूंकि, कोरोना तो खत्म हो गया लेकिन लोग अब भी उससे उबर नहीं पाए हैं। किसी को आर्थिक नुकसान हुआ है तो किसी की नौकली चली गई है। वहीं, युवाओं में पढ़ाई-लिखाई व करियर को लेकर चिंता बढ़ गई।
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मानसिक रोगी इस नंबर पर ले सकते हैं नि:शुल्क परामर्श
अगर, आपको किसी तरह की मानसिक संबंधित जानकारी लेना हो तो या फिर आप मानसिक रोगी हैं तो आप टोल फ्री नंबर 14416 व 1800-89-14416 पर परामर्श ले सकते हैं।
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पुरुष अधिक मानसिक रोगी के शिकार
कोल्हान प्रमंडल का आंकड़ा देखा जाए तो बीते साल लगभग छह हजार मानसिक रोगी के नए मरीज मिले हैं। इसमें पुरुषों की संख्या अधिक है। जबकि महिलाओं की संख्या कम है। वहीं, लगभग एक हजार बच्चे भी शिकार मिले हैं।
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आपको कब डॉक्टर से सहायता लेनी चाहिए
– व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व में परिवर्तन
– स्पष्ट रूप से सोचने और दैनिक कार्यकलापों को करने में कठिनाई।
– आदत, मन (इच्छा) एवं एकाग्रता में अचानक परिवर्तन।
– वैसी चीजों को देखना और सुनना जो आस-पास मौजूद नहीं हो।
– आत्महत्या का विचार बार-बार आना एवं आत्म हत्या से संबंधित आचरण करना।
– क्रोध, भय, चिंता, अपराध बोध या उदासी, खुशी की लगातार अनुभूति।
– डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयों का अत्यधिक सेवन
– शराब या तंबाकू का अधिक सेवन।
– दिनचर्या में परिवर्तन।
– सामाजिक मेल-जोल में कमी।
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बच्चों में मानसिक तनाव के लक्षण
– स्कूल के प्रदर्शन में अचानक बदलाव। खराब ग्रेड।
– शारीरिक और मानसिक विकास में विलंब।
– एकाग्रता में कमी। अति सक्रियता।
– भावनाओं और मनोदशा में बार-बार परिवर्तन।
– बार-बार गुस्सा-नखरे या आक्रामकता।
– नींद में कमी।
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इस तरह से तनाव दूर करें
– रोजाना योग व ध्यान करें।
– पर्याप्त नींद जरूरी है।
– समाज से जुड़े रहें।
– वक्त मिलने पर कुछ नया सीखें।
– संगीत सुनें।
– अपनी बातों को खुलकर शेयर करें।
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तनाव को नहीं करें नजरअंदाज
जमशेदपुर के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि तनाव के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन अधिकांश लोग इसे नजरअंदाज करते हैं। जबकि इस परिस्थिति में किसी मनोचिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए। इस दौरान अगर मरीज को सही ढंग से ट्रीट नहीं किया गया तो आगे वह और भी ज्यादा तनाव में चले जाता है और मरीज का दिमाग सही ढंग से काम नहीं करता है। इस दौरान मरीज कई तरह के कदम उठा लेते हैं।
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