हेल्थ डेस्क। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भले ही कोरोना को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ की सूची से बाहर कर दिया है, लेकिन वैश्विक स्तर पर कोरोना अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। यूके-यूएस सहित कई देशों में इसका जोखिम अब भी देखा जा रहा है। हाल के महीनों में कोरोना के कुछ नए वैरिएंट्स के कारण अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है। SARS-COV-2 यानी कोविड-19 वायरस के खुद को बदलने की क्षमता पर नजर रखने वाले वैज्ञानिक इस नए वैरियंट से चिंतित हैं। इस ताजा उभरते हुए वैरिएंट का नाम जेएन.1 बताया जा रहा है।
हाल में दो नए वैरिएंट की मिली थी जानकारी
वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना वायरस में लगातार म्यूटेशन जारी है। एक हालिया रिपोर्ट में शोधकर्ताओं की टीम ने कोरोना के दो नए वैरिएंट के सामने आने की जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड स्टेट्स में कोरोना के दो नए वैरिएंट्स के बारे में पता चला है, जो इस बात का संकेत है कि कोरोना वायरस खुद के जिंदा रखने के लिए लगातार म्यूटेंट कर रहा है, यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम हो सकता है। नेचर जर्नल में हाल में प्रकाशित नई लैब रिपोर्ट में बताया गया है कि ओमिक्रॉन के बीए.2.86 वैरिएंट में नए म्यूटेशन देखे गए हैं, जिससे कोरोना के एक नए वैरिएंट जेएन.1 के बारे में पता चला है। शोधकर्ता कहते हैं, बढ़ते एंटीबॉडी पुशबैक से बचने के लिए कोरोनोवायरस लगातार म्यूटेंट कर रहा है।
नए वैरिएंट जेएन.1 के कारण बढ़ा जोखिम
40 से अधिक नए म्यूटेशनों के साथ, जेएन.1 नामक नए वैरिएंट की फ्रांस, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका सहित कई अन्य देशों में पुष्टि हो चुकी है। आज के अन्य प्रमुख कोविड स्ट्रेन जैसे XBB.1.5 और HV.1 की तुलना में इस वैरिएंट में भारी अंतर से वैज्ञानिक विशेष रूप से आश्चर्यचकित हैं। अमेरिका में वैक्सीन के जो ताजा बूस्टर डोज लगाए गए थे उनका लक्ष्य XBB. 1. 5 वैरिएंट था। अधिकांश उभरते वैरिएंट इसी वायरस यानी XBB. 1.5 के वंशज हैं, जिसका अर्थ है कि वे टीके उन सभी वैरिएंट पर असर करते हैं। HV.1 एक अपेक्षाकृत नया वैरिएंट है और इसमें XBB. 1.5 से कुछ अंतर हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से अपने पैरेंट स्ट्रेन के समान है। लेकिन, जेएन. 1 बहुत अलग है। अर्कांसस स्टेट यूनिवर्सिटी में न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वायरस ट्रैकर डॉ राजेंद्रम राजनारायणन कहते हैं, वायरस विकसित हो रहा है। हम फिलहाल ये जानने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि नए वैरिएंट के कारण क्या संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि की आशंका है या ये प्रतिरक्षा प्रणाली से किस प्रकार से प्रतिक्रिया करेगा?
HV.1 वैरिएंट है अलग
HV.1 वैरिएंट तेजी से फैलने वाला कोरोना वायरस है। इस वैरिएंट का ग्रोथ और ट्रांसमिशन बहुत तेजी से होता है। जुलाई तक इसके मामलों के केवल 0.5% का हिस्सा था, जो कि मिड अगस्त तक सब-वेरिएंट EG.5 को लगभग पीछे छोड़कर आगे निकलने की होड़ में लग गया। तेजी से फैलने वाले इस कोविड वायरस के लक्षण पूर्व वैरिएंट से काफी हद तक मिलते हैं। HV.1 वैरिएंट कोरोना वैरिएंट EG.5 का म्यूटेशन है, जो मूल XBB स्ट्रेन से निकला था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें, तो HV.1 अन्य ओमिक्रोन स्ट्रेनों के साथ बहुत ही समान है, और इसमें काफी कुछ समानता पाई जाती है। यह वैरिएंट भले ही म्यूटेशन हो, लेकिन यह दूसरे सब-वैरिएंट से अलग है। रिपोर्ट के अनुसार, HV.1 वैरिएंट की गंभीरता की समानता XBB संबंधित सब-वैरिएंट्स के समान होने की उम्मीद है।
अधिक संक्रामक हो सकता है JN.1
न्यूयॉर्क में बफेलो विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ. थॉमस रूसो ने कहा कि इसके स्पाइक प्रोटीन में उत्परिवर्तन के कारण JN.1 अपने पैरेंट वैरिएंट की तुलना में बहुत अधिक प्रतिरक्षा से बचने वाला प्रतीत होता है। इसकी ये खूबी इसे काफी चालाक बनाती है। परिणामस्वरूप, हमें अधिक संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ डेटा हैं जो सुझाव देते हैं कि JN.1 अपने पैरेंट BA.2.86 पिछले वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है। वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में इतना बड़ा अंतर पहली बार 2021 में, महामारी की शुरुआत के दौरान, SARS- CoV-2 के अल्फा और बीटा संस्करणों में देखा गया था। कोरोना अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, इसलिए हमें इससे बचाव को लेकर हमेशा अलर्ट रहने की आवश्यकता है। भविष्य में और नए वैरिएंट्स के भी सामने आने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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