हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : झारखंड में संचालित 108 एंबुलेंस इन दिनों चर्चा में है। खासकर जमशेदपुर में इसके खिलाफ लगातार शिकायतें दर्ज कराई जा रही है लेकिन इसी बीच 108 एंबुलेंस ने एक जच्चा-बच्चा की जान बचा ली है, जिसकी सराहना हर तरफ हो रहा है। दरअसल, पोटका के कुंदुरकोचा गांव निवासी बसंती सरदार को प्रसव पीड़ा हुई तो वे पोटका के जूरी स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। वहां पर चिकित्सकों ने जांच कर महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। इसके बाद परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया तो उसके 15 मिनट के अंदर एंबुलेंस पहुंच गई। इसके बाद गर्भवती को एंबुलेंस से एमजीएम अस्पताल लाया जा रहा था।
इसी बीच रास्ते में दर्द तेज हुई। इस दौरान चालक ने एंबुलेंस को रोका। इसके बाद एंबुलेंस में तैनात टेक्नीशियन ने गर्भवती के परिजनों के साथ मिलकर प्रसव कराया। इस दौरान दोनों स्वस्थ हुए। इसके बाद जच्चा-बच्चा को एमजीएम अस्पताल लाया गया। यहां पर चिकित्सकों ने जांच की तो दोनों स्वस्थ मिले। इसके बाद दोनों को छुट्टी कर दी गई। 108 एंबुलेंस सेवा के प्रोग्राम मैनेजर दिलीप महतो ने बताया कि जल्द ही 108 एंबुलेंस के खिलाफ मिल रही शिकायतें को दूर कर ली जाएगी।
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108 एंबुलेंस नहीं मिलने से दो मरीजों की हो गई थी मौत
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बीते शुक्रवार को दो गंभीर मरीजों को 108 एंबुलेंस नहीं मिली, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इसके बाद मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया था। इसमें एक मृतक सीतारामडेरा स्थित ह्यूमपाइप निवासी मुकेश भगत व दूसरे का नाम आरती महतो था। आरती महतो पटमदा के रहने वाली थी। दोनों के परिजनों ने एमजीएम अधीक्षक से शिकायत की थी।
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108 एंबुलेंस के खिलाफ शिकायतें आई सामने
– 5 सितंबर : 108 एंबुलेंस चालकों की धांधली आई थी सामने। आदित्यपुर निवासी मुकेश प्रसाद से पैसा मांगा गया था।
– 26 सितंबर : जुगसलाई गौरी शंकर रोड निवासी मजरूद्दीन को 108 एंबुलेंस नहीं मिली।
– 27 सितंबर : बर्मामाइंस निवासी गणेश गोप को 108 एंबुलेंस नहीं मिली और उसकी मौत हो गई।
– 3 अक्टूबर : 26 घंटे के बाद मिली घाटशिला निवासी एक बच्ची को 108 एंबुलेंस।
– 7 अक्टूबर : बिरसानगर निवासी एम. सोय को 29 घंटे के बाद मिली 108 एंबुलेंस।
– 9 अक्टूबर : स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एक घायल को अस्पताल भेजने के लिए 108 एंबुलेंस को फोन करते रहे लेकिन वह नहीं पहुंची।
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