एंटरटेनमेंट डेस्क: रवीना टंडन, जिन्हें बोलचाल में “मस्त-मस्त गर्ल” भी कहा जाता है, एक समय बॉलीवुड की टॉप की हीरोइनों में शुमार थीं। 90 और 2000 के दशक की टैलेंटेड बॉलीवुड अदाकाराओं का नाम लें तो हमें रवीना टंडन का नाम और चेहरा जरूर याद आता है। उस दौरान उनकी खूबसूरती और टैलेंट के सभी कायल हुआ करते थे। 26 अक्टूबर को उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम उनकी करियर में उनकी 10 सबसे अच्छी फिल्मों के बारे में चर्चा करेंगे, जिसने उन्हें बॉलीवुड के लिए और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया।
पत्थर के फूल (1991) : रवीना ने 1991 में ‘पत्थर के फूल’ नामक फ़िल्म के साथ अपना डेब्यू किया, जो की हिट हुई। उन्होंने अपने इस प्रदर्शन के लिए फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड का ‘लक्स न्यू फेस ऑफ़ द ईयर’ जीता। इस फ़िल्म से उनके करियर में एक बड़ा बदलाव आया और रवीना रातोंरात स्टार बन गई।
दिलवाले (1994): दिलवाले में रवीना टंडन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फ़िल्म में वह एक शौकीन और आत्म-विश्वासी युवा महिला की भूमिका में नजर आईं थीं। उन्होंने अपनी अदाओं और अभिनय के साथ ‘दिलवाले’ में अपने किरदार को जीवंत किया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।
मोहरा (1994): फिल्म मोहरा में उनके एक गाने “तू चीज बड़ी है मस्त- मस्त” से उन्हें एक निकनेम मिला, इसके बाद से सभी उन्हें “मस्त-मस्त गर्ल” कहा जाने लगा। यह फिल्म भी खूब चली और इसके गाने भी काफी हिट रहे थे।
‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ (1996) : ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ फिल्म के लिए रवीना की अदाकारी आज भी याद की जाती है, यह एक हिंदी एक्शन फ़िल्म है जिसमें रेखा, अक्षय कुमार, और रवीना टंडन प्रमुख भूमिकाओं में हैं। इस फ़िल्म में रवीना ने रेखा की छोटी बहन का किरदार निभाया था, जिसे लोग आज भी याद करते हैं। यह फ़िल्म 1996 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली 5वीं फ़िल्म थी।
‘दूल्हे राजा’ (1998): ‘दूल्हे राजा’ एक 1998 की हिंदी हास्य फ़िल्म है, जिसे हर्मेश मल्होत्रा ने निर्देशित किया था। इसमें गोविंदा, रवीना टंडन, कादर ख़ान, जॉनी लीवर, प्रेम चोपड़ा, और असरानी जैसे कलाकार हुए थे।
शूल (1999) : रवीना ने इस फिल्म में अपनी बेहद साहसी भूमिका के लिए बहुत प्रशंसा प्राप्त की और वे इसमें अद्वितीय दिखाई दीं।
दमन: ए विक्टिम ऑफ मैरिटल वायलेंस (2001) : ‘दमन: ए विक्टिम ऑफ मैरिटल वायलेंस’ एक 2001 की भारतीय हिंदी ड्रामा फिल्म है, जिसे कल्पना लाजमी ने निर्देशित किया था और जो 4 मई 2001 को रिलीज़ हुई थी। दरअसल, इसमें मुख्य अभिनेत्री रवीना टंडन ने दुर्गा सैकिया की भूमिका में अद्वितीय अभिनय किया और उन्होंने एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। यह फिल्म एक पति प्रताड़ित पत्नी की कहानी पर आधारित है। फिल्म का वितरण भारत सरकार द्वारा किया गया था। ‘दमन’ एक महत्वपूर्ण फिल्म थी जो समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले जातिवाद, उत्पीड़न, और हिंसा को उजागर करती है। फिल्म की कहानी गहरे राजनीतिक और सामाजिक संदेहों को प्रकट करती है और महिलाओं के अधिकारों की महत्वपूर्ण बात करती है।
अक्स (2001) : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रवीना ने आर्ट फिल्मों की तरफ अपना रुख किया ताकि वह अपने अभिनय कला को और निखार सके। इसी दौरान उनकी फिल्म बुलंदी और अक्स आइ। उन्होंने कई पुरस्कार जीते और अपने अद्वितीय अभिनय के लिए राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘अक्स’ में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर स्पेशल परफॉर्मेंस अवॉर्ड के साथ-साथ ये अनेक पुरस्कार भी जीते।
सत्ता (2003): “Satta”, एक 2003 की भारतीय हिंदी भाषा की राजनीतिक नाटक फ़िल्म है, जिसके निर्देशन और संयोजन मधुर भंडारकर ने किए थे। इसमें रवीना टंडन मुख्य भूमिका में हैं, और उनके साथ अतुल कुलकर्णी, गोविंद नामदेव, और समीर धर्माधिकारी हैं। इस फिल्म में रवीना की अदाकारी की सभी ने दिल खोलकर प्रशंसा की उनके फैंस से लेकर क्रिटिक तक का बहुत ही ज्यादा अच्छा रिस्पांस मिला।
‘केजीएफ 2’ (2022): ‘केजीएफ 2’ में भले ही यश की काफी तारीफ हुई हो , लेकिन कुछ सहायक कलाकार भी हैं, जिन्होंने उनके किरदार को महत्वपूर्ण बनाया है। एक इस तरह के महत्वपूर्ण किरदार का उदाहरण है प्रधानमंत्री रामिका सेन, जिसका किरदार रवीना टंडन ने निभाया है। उनके चरित्र और प्रदर्शन ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया है और उनका दिल जीत लिया है।
पाकिस्तानी भी थे रवीना के फैन
उसे दौर में भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी रवीना टंडन की खूबसूरती और अदाकारी का डंका बजता रहा था। 1999 के कारगिल युद्ध के समय, पाकिस्तानी सैनिकों ने रवीना टंडन और माधुरी दीक्षित की मांग की थी। पाकिस्तान की ओर से थोपे गए इस युद्ध ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर मोड़ लिया था।
इस युद्ध के दौरान होने वाले घातक संघर्ष के बावजूद, एक घटना थी जो दिखाती थी कि रवीना टंडन जैसी कल्पनाशील और प्रभावशाली अदाकारी की जो वास्तविक दुनिया में भी गहरा प्रभाव डाल सकती है। यह किस्सा दिखाता है कि उस समय रवीना टंडन की खूबसूरती और अदाओं का प्रभाव सिर्फ भारतीय सीमा तक ही सीमित नहीं था, बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों के बीच भी वह चर्चा का विषय था।
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