गोरखपुर/Kawane Karanwa : भोजपुरी के महाकवि भिखारी ठाकुर के गीत “बिदेशिया” की पंक्तियां पिछले कई वर्षों से उत्तर प्रदेश और बिहार की बड़ी आबादी के दर्द को बयां करती आ रही हैं। रोजगार के लिए पलायन की मजबूरी की इसी कहानी को एक बार फिर से भोजपुरी के पहले स्टोरी टेलिंग एप “यायावरी वाया भोजपुरी” ने अपने वीडियो गीत “कवने करनवां” के जरिए प्रस्तुत किया है। रिलीज़ के करीब दो वर्ष बाद मजदूर दिवस पर यह गीत खूब ट्रेंड कर रहा है। भोजपुरी भाषी लोग इस गीत के माध्यम से एक-दूसरे को मज़दूर दिवस की बधाई दे रहे हैं। एक-दूसरे के दर्द की अभिव्यक्ति कर रहे हैं।
Videshiya गीत में क्या है खास
दो वर्ष पूर्व मज़दूरों और प्रवासियों के दर्द को आवाज़ देने के लिए “यायावरी वाया भोजपुरी” की ओर से “कवने करनवां” नाम से गीत रिलीज किया गया था। इस गीत को आदित्य रंजन ने अपनी आवाज दी थी। गीत के बोल जगन्नाथ जी लिखे थे। एडिशनल कंपोजिशन आदित्य रंजन का था। संगीत सुशांत देव का था। अभिनय आदित्य रंजन ने किया था।” दो वर्ष बाद यह गीत जमकर वायरल हो रहा है। वर्ष 2022 में 1 मई को यह गीत रिलीज किया गया था।
भोजपुरी क्षेत्र की पीड़ा को दी गई आवाज
इस गीत के जरिए भोजपुरी क्षेत्र की पीड़ा की अभिव्यक्ति की गई है। सैकड़ों वर्षों से भोजपुरी भाषी क्षेत्र के लोग नौकरी और रोजगार की तलाश में अपना गांव और शहर छोड़ कर दूसरे शहर और राज्य का रुख करने को मजबूर रहे हैं। व्यवस्था लगातार यह दावा करती रही है कि पहले के मुकाबले अब हालात नियंत्रण में हैं लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार से दूसरे राज्यों में जाने वाली ट्रेनों की दशा देखकर मौजूदा हालात का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। तमाम पर पर्व- त्योहारों के मौसम में लाखों की संख्या में लोग अपनों के बीच पहुंचने के लिए जैसे तैसे ट्रेन और बसों में सवार होकर लौटते हैं। कोरोना महामारी के दौरान संसाधन के अभाव लाखों लोग अपने परिवार के साथ पैदल ही घर लौट के लिए निकल गए थे। इसी भयावह परिस्थिति को बयां करने के लिए नए सिरे से यह गीत प्रस्तुत किया गया था।
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