सेंट्रल डेस्क: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की किताबों में अब INDIA की जगह भारत लिखा जाएगा। इस प्रस्ताव को NCERT की एक समिति ने तैयार किया था, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है। NCERT की किताबों में इंडिया शब्द का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह शब्द भारत की संस्कृति और विरासत को सही ढंग से नहीं दर्शाता है। वे कहते हैं कि भारत शब्द अधिक सटीक और प्रासंगिक है। साथ ही सिलेबस से प्राचीन इतिहास को हटाकर क्लासिकल हिस्ट्री को और हिंदू योद्धाओं की जीत की कहानियों को शामिल करने की सिफारिश की गई है।
भारत नाम का ही हो इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कमेटी के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने 25 अक्टूबर को बताया कि भारत का जिक्र विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में है, जो 7 हजार साल पुराने हैं। इंडिया नाम आमतौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी के युद्ध के बाद इस्तेमाल होना शुरू हुआ। ऐसे में देश के लिए भारत नाम का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आईजैक ने NCERT के सिलेबस में क्लासिकल हिस्ट्री शामिल करने के पीछे तर्क दिया- अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांट दिया। प्राचीन इतिहास बताता है कि देश अंधेरे में था, उसमें वैज्ञानिक जागरूकता नहीं थी। हमारा सुझाव है कि बच्चों को मध्यकाल और आधुनिक इतिहास के साथ-साथ क्लासिकल हिस्ट्री भी पढ़ाई जानी चाहिए।
हिंदू विक्ट्रीज को उजागर करने की भी सिफारिश
समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’के स्थान पर ‘क्लासिकल हिस्ट्री’ को शामिल करने की सिफारिश की है। इतिहास को अब प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा। एंशिएंट का मतलब प्राचीन होता है। वो दिखाता है कि देश अंधेरे में था, जैसे कि उसमें कोई वैज्ञानिक जागरूकता थी ही नहीं। सौर मंडल पर आर्यभट्ट के काम समेत ऐसे कई उदाहरण भी हैं। समिति ने पाठ्यपुस्तकों में हिंदू विक्ट्रीज को उजागर करने की भी सिफारिश की है।
मनोज झा ने कहा- संस्थानों का चरित्र देख कर हैरान हूं
राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि मैं सरकार के अंतर्गत आने वाले संस्थानों का चरित्र देखकर हैरान हूं। जब से इंडिया गठबंधन बना है, तब से पीएम से लेकर मंत्रियों तक के अजीब रिएक्शन आ रहे हैं। वे तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि इंडिया गठबंधन का मुकाबला कैसे करेंगे। अब NCERT की किताबों में इंडिया को बदलकर भारत करने की बात कर रही है, लेकिन आप अनुच्छेद 1 का क्या करेंगे जो कहता है कि इंडिया दैट इज भारत। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इसका क्या अर्थ है। अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर लेता है, तो वे क्या करेंगे।
इंडिया शब्द के लिए नफरत फैला रही सरकार
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ बीजेपी इतिहास बदलना चाहती है और ऐसे ‘हताशा भरे कदम’उठा रही है, क्योंकि उसे विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलवमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’(I.N.D.I.A.) से हार का डर सता रहा है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इंडिया शब्द उतना ही गौरवशाली है जितना कि भारत, लेकिन सत्तारूढ़ दल और सरकार एक पूरी पीढ़ी को उस शब्द से नफरत करने की शिक्षा देना चाहती है, जिसके प्रति हम बहुत गर्व महसूस करते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी न तो भारत को लेकर गंभीर है और न ही इंडिया को लेकर गंभीर है। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि नाम बदलना सिर्फ ध्रुवीकरण का प्रयास मात्र है।
सरकार के फैसले पर विपक्ष हमलावर
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने कहा, संविधान में लिखा है ‘इंडिया’जो ‘भारत’है। दोनों नाम एक हैं।’राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा कि ‘इंडिया’गठबंधन के गठन के बाद से यह भाजपा शासन की एक उन्मादी प्रतिक्रिया रही है। उन्होंने दावा किया, ‘अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर ‘भारत’कर लेता है, तो क्या वे देश का नाम बदलकर ‘जंबूद्वीप’या कोई और नाम रखेंगे।’आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, ‘यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘इंडिया’गठबंधन से कितना डर है। उनके गठबंधन के साथी उन्हें छोड़ रहे हैं। नाम बदलने के बजाय बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। द्रमुक के प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने कहा कि बीजेपी ‘अपने कुशासन से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए’नाम बदलने की राजनीति कर रही है।
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