गढ़वा : कम उम्र में ही ह्रदय रोग किस तरह जानलेवा साबित हो रहा है, इसका जीवंत प्रदर्शन मंगलवार की रात गढ़वा जिले के डंडई में रामलीला पर आधारित नाटक के दौरान हुआ। स्टेज पर रामलीला का मंचन हो रहा था। रामायण के सीता स्वयंवर का प्रसंग था। धनुष टूटने के थोड़ी देर बाद स्वयंवर में भगवान परशुराम पहुंचते हैं। वह जोर-जोर से चिल्लाते हुए कहते हैं-धनुष को किसने तोड़ा? धनुष को किसने तोड़ा? जल्दी बताओ… जल्दी…।
इसी बीच अचानक अचेत होकर मंच पर गिर पकड़े हैं। पहले तो कलाकारों और दर्शकों ने समझा कि यह नाटक का हिस्सा है। कुछ देर नहीं उठते हैं तो दूसरे कलाकर उनकी तरफ दौड़ते हैं। उठाने की कोशिश की जाती है। वह नहीं उठते हैं। इसके बाद नाटक का पर्दा गिर जाता है।
रामलीला के मंच पर गिर गया जीवन का पर्दा
दरअसल, नवरात्र के मौके पर करके गांव में रात के समय रामलीला नाटक खेला जा रहा था। जनक पुत्री सीता के स्वयंवर के लिए धनुष यज्ञ होता है। स्वयंर में भगवान राम धनुष को तोड़ते हैं। इसके बाद तमतमाते हुए गुस्से में भगवान परशुराम पहुंचते हैं। परशुराम का रोल 40 वर्षीय विनोद प्रजापति कर रहे थे। जब वह अचेत होकर गिर जाते हैं तो नाटक का पर्दा गिरा दिया जाता है। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया।
विनोद करके गांव के ही रहने वाले थे। वे झामुमो के पंचायत अध्यक्ष थे। वह पूरी तरह से स्वस्थ थे और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे। उनकी मौत से हर कोई दंग रह गया। घटना की जानकारी मिलते ही झारखंड माटी कला बोर्ड के निवर्तमान सदस्य अविनाश देव, योगेंद्र प्रजापति, अनूप कुमार प्रजापति उनके घर पहुंचकर उनके परिवार को ढांढस बंधाया। उन्हें हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया। उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
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