स्पेशल डेस्क : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन (SC to Udhayanidhi Stalin) ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान देते हुए इसकी तुलना डेंगू मलेरिया से की थी। इसके बाद उनके खिलाफ कई राज्यों में मामले दर्ज हुए। इन सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ने की मांग को लेकर उदयनिधि स्टालिन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उन्हें फटकार लगी।
स्वतंत्रता का दुरुपयोग (SC to Udhayanidhi Stalin)
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया और अब आप सुप्रीम कोर्ट से राहत मांग रहे हैं। आप आम आदमी नहीं हैं, राजनेता हैं। आपको पता होना चाहिए था कि इस तरह की टिप्पणी का क्या नतीजा होगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने ‘सनातन धर्म’ के बारे में कथित टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन से कहा- आपने अनुच्छेद 19(1)ए और 25 के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है। अब आप अनुच्छेद 32 के दायरे में आ गए हैं? न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने उदयनिधि से पूछा “आप अपने अनुच्छेद 19(1)(ए) के अधिकार का दुरुपयोग करते हैं।
आप अपने अनुच्छेद 25 का दुरुपयोग करते हैं। अब आप अपने अनुच्छेद 32 का प्रयोग सही कर रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा?”
स्टालिन के वकील सिंघवी ने दिए ये तर्क
वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने एफआईआर को एक साथ जोड़ने की दलील देने के लिए पूर्व में अन्य मामलों में दिए गए फैसलों का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्टालिन इसके बजाय हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। इस पर उदयनिधि के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर मुझे कई हाई कोर्ट जाना पड़ा, तो मैं बंध जाऊंगा और यह अभियोजन पक्ष के समक्ष उत्पीड़न होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम अगले हफ्ते इस मामले पर सुनवाई करेंगे।’
सनातन धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप
उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे हैं। उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर और बिहार में प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इन प्राथमिकियों में उन पर ‘सनातन धर्म’ की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसी बीमारियों से करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने और इसे मिटाने का आह्वान करने का आरोप है।
उदयनिधि के वकील, एएम सिंघवी ने अर्णब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर और नूपुर शर्मा के खिलाफ इसी तरह के बयानों के लिए कई प्राथमिकियों के संबंध में पिछले सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लेख किया। उन मामलों में, अदालत ने एक स्थान पर प्राथमिकियों को एक साथ मिलाने का आदेश दिया था। सिंघवी ने अदालत से अनुरोध किया कि प्राथमिकियों को खारिज करने की बजाय किसी तटस्थ राज्य में एक साथ कर दिया जाए।
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