नई दिल्ली: Misleading Advertising: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और बालकृष्ण दोनों ने माफी मांग ली और भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। हालांकि कोर्ट ने नाराजगी जताई और फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत के आदेशों के हल्के में नहीं लिया जा सकता है। आपके खेद जताने के तरीके को हम मंजूर नहीं कर सकते। टॉप कोर्ट ने कहा कि पतंजलि की तरफ से जारी विज्ञापन देश के कानून के दायरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
Misleading Advertising: सरकार ने क्यों पहले नही लिया एक्शन
कोर्ट ने कहा कि आश्चर्य है कि जब पतंजलि कंपनी जोर-शोर से यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है, तब सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखीं। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे में पतंजलि के प्रबंध निदेशक के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम पुराना है। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को एक हफ्ते के भीतर नया हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को तय की है और रामदेव और बालकृष्ण को उस समय भी पेश होने का आदेश दिया है।
भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक से कहा कि आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि आपके पवित्र वचन के संबंध में हलफनामा दायर किया गया है। कभी-कभी चीजों को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। यह पूरी तरह से अवज्ञा है। केवल उच्चतम न्यायालय ही नहीं, देश भर की सभी अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आपको न्यायालय में दिए गए वचन का पालन करना होगा आपने हर सीमा को तोड़ दिया है।
Misleading Advertising: कोर्ट ने पहले ही लगाई थी पतंजलि के विज्ञापन पर रोक
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को ऐसे विज्ञापन जारी करने पर पहले ही रोक लगाई थी, लेकिन पतंजलि ने कोर्ट के इस निर्देश का पालन नहीं किया। इससे पहले हुई सुनवाई में आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों को कोर्ट में पेश किया। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में जानकारी दी थी। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया था।
Misleading Advertising: हर प्रोडक्ट पर एक करोड़ तक जुर्माना लग सकता
जस्टिस अमानुल्लाह ने 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में कहा था कि पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। उन्होंने कहा कि सु्प्रीम कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगा सकता है। अदालत ने कहा कि पतंजलि भ्रामक दावे कर देश को धोखा दे रही है। पतंजलि दावा करती रही है कि उसकी कुछ दवा कुछ बीमारियों को ठीक कर सकती है।
Misleading Advertising: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की याचिका दर्ज करने की मांग
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन को लेकर याचिका दायर कर मांग की है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडी अधिनियम-1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई हो। योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव के खिलाफ कोविड-19 के एलोपैथिक उपचार के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर कई राज्यों में केस दर्ज है।
वही बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। हम आज एक नया हलफनामा दाखिल करेंगे। हालांकि इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे।
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