अहमदाबाद : मशहूर उद्योगपति और वाघ बकरी चाय समूह (Wagh Bakri Tea Group) के मालिक पराग देसाई पर पिछले दिनों कुछ आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था। इसके बाद इलाज के दौरान उनकी जान चली गयी। मिली जानकारी के अनुसार, गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। 49 वर्ष के पराग देसाई को ब्रेन हैमरेज (Brain hemorrhage) हो गया था, इसके बाद उन्हें बचाया ना जा सका।
मॉर्निंग वॉक के दौरान कुत्तों ने किया हमला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पराग देसाई 15 अक्टूबर की सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए घर से निकले थे। अहमदाबाद के इस्कॉन एसेंबली रोड पर टहलते वक्त वह कुछ कुत्तों के हमले का शिकार हो गए। कुत्तों से खुद को बचाने की कोशिश में पराग देसाई का पैर फिसल गया। वह गिर गए। उन्हें सिर पर गंभीर चोट आई। जिसकी वजह से वह अस्पताल में इलाजर थे। हालत बिगड़ने पर उन्हें हेबतपुर रोड पर एक अन्य निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। देसाई के परिवार के करीबी सूत्रों के अनुसार, उनकी तुरंत सर्जरी की गई। इसके बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। उन्हें सात दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था। चोट इतनी गंभीर थी कि उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया,इस वजह से उनकी जान चली गई।
सोशल मीडिया पर डिबेट
जब से वाघ बकरी चाय के मालिक पराग देसाई की दर्दनाक मौत की खबर आई है, कुत्तों की समस्या पर डिबेट छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर Wagh Bakri और Parag Desai ट्रेंड कर रहा है। लोग आवारा कुत्तों की समस्या पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कश्मीरी पंडित खुशबू मट्टू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘मैं दो बच्चों की मां हूं। भारत में आप कहीं भी चले जाएं खूबसूरत कश्मीर हो या मुंबई, दिलवालों की दिल्ली या टेक-प्रो हैदराबाद, आवारा कुत्तों के हमले का खतरा बना रहता है।
आवारा कुत्तों के काटने से वाघ बकरी चाय के मालिक पराग देसाई की मौत
वाघ बकरी के मालिक की मौत का जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या हम कुत्तों को काटने दें? उन्होंने मांग की कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और उनकी आबादी पर नियंत्रण कानूनन अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ का भी काम है कि आवारा कुत्तों की संख्या को सीमित किया जाए। उन्होंने लिखा, ‘हम नहीं चाहते कि देश की 1.3 अरब आबादी की जगह 1.3 अरब कुत्ते ले लें।‘ आखिर में उन्होंने लिखा कि मैं भी डॉग लवर हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सड़क पर 100 कुत्ते आपका पीछा करने लगें।
चार पीढ़ी से जुड़ा चाय का कारोबार
पराग देसाई का परिवार पिछली चार पीढ़ी से चाय के कारोबार से जुड़ा है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके परदादा (दादा के पिता) नारणदास देसाई के साउथ अफ्रीका में चाय के बागान थे। यहां वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए। यहां देसाई नस्लीय भेदभाव के शिकार हुए। उन्हें दक्षिण अफ्रीका छोड़कर भारत आना पड़ा। उनका परिवार 1915 में भारत लौट आया था। वह चाय से जुड़ा काम ही जानते थे तो उन्होंने शुरुआत में पुराने अहमदाबाद और कानपुर में चाय की दुकान खोली।
देश में पहली बार पैक्ड टी का कारोबार
दुकान की शुरुआत उन्होंने गुजरात चाय डिपो के नाम से की। उन्हें दो से तीन साल का टाइम अपनी चाय का नाम फाइलन करने में लग गए। 1980 तक उन्होंने खुली चाय की बिक्री की। उस समय तक खुली चाय की थोक के रूप में ब्रिकी की जाती थी। 1980 में चाय निर्माता कंपनी ने एक बड़ा फैसला लिया। देश में पहली बार पैक्ड टी (Packed Tea) का कारोबार शुरू किया। यह फैसला काफी चुनौतीभरा साबित हुआ। एक समय पैक्ड टी का काम बंद होने के कगार पर पहुंच गया। पराग देसाई ने बताया था कि पैकेज्ड टी की शुरुआत करने के बाद कंपनी के पांच से सात साल काफी बुरे निकले। संघर्ष के बीच 2003 तक वाघ बकरी ब्रांड गुजरात का सबसे बड़ा चाय निर्माता बन चुका था। 1980 और इसके बाद तक गुजरात टी डिपो ने थोक में और 7 रिटेल शॉप के जरिये चाय की बिक्री जारी रखी थी।
चाय कंपनी ने पोस्ट के जरिए दी सूचना
वाघ बकरी चाय ग्रुप, अपनी प्रीमियम चाय के लिए फेमस है। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कंपनी का अच्छा-खासा मार्केट है। वाघ बकरी चाय समूह ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा, ‘गहरे दुख के साथ, हमें अपने प्रिय पराग देसाई के दुखद निधन की सूचना देते हुए दुख हो रहा है।’ देसाई वाघ बकरी चाय समूह के प्रबंध निदेशक रसेस देसाई के पुत्र थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी विदिशा और बेटी परीशा हैं।
पराग देसाई ने कंपनी को दिए नए मुकाम
पराग ने न्यूयॉर्क से एमबीए करने के बाद कंपनी को नए मुकाम पर पहुंचाया। जब वह 1995 में जुड़े तो कंपनी का कारोबार 100 करोड़ रुपये था। आज वाघ बकरी का सालाना टर्न ओवर 2000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। वाघ बकरी चार को दुनियाभर के 60 देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। देशभर में वाघ बकरी के टी लाउन्ज और कैफे भी हैं। समूह के बिक्री, विपणन और निर्यात प्रभाग का नेतृत्व करने और ब्रांड को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के अलावा, देसाई एक उत्साही चाय टेस्टर और मूल्यांकनकर्ता भी थे। उन्हें यात्रा और वन्यजीवन में गहरी रुचि थी और उन्होंने सस्टेनेबल परियोजनाओं के लिए अपना समय दिया। पराग देसाई के पिता रसेस देसाई हैं, जो फिलहाल वाघ बकरी ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
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