नई दिल्ली : पूरे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर कई तरह की चर्चाएं है। विशेषज्ञों का मानना है कि एआइ के आने से रोजगार कम होंगे और कई लोगों की नौकरियां जाएंगी।
इस पूरे मामले में टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन का कहना है कि 30 साल पहले जब कंप्यूटर आए थे तब भी लोगों ने यही कहा था कि नौकरी के अवसर कम होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि उत्पादकता बढ़ी, काम में दक्षता आई। अभी एआइ पर भी यहीं कहा जा रहा है लेकिन टाटा स्टील शुरू से ही चुनौतियों को अवसर में बदलती है।
अभी भी हम एआइ की मदद से उत्पादन बढ़ाने में कर रहे हैं। हमारे पास कई ऐसे डाटा थे जिसका उपयोग नहीं होता है अब उसकी समीक्षा कर एआइ की मदद से उसका पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे हमारी दक्षता व उत्पादकता, दोनों बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हमने अपने कुछ कंट्रोल रूम को प्रोडक्शन यूनिट से बाहर लाकर उसे एआइ की मदद से ही कंट्रोल कर रहे हैं।
इससे सेफ्टी भी बेहतर हुई और हम बेहतर तरीके से काम कर पा रहे हैं। टाटा स्टील जमशेदपुर स्थित सेंटर फार एक्सिलेंस में चार दिवसीय आर्ट इन इंडस्ट्री का आयोजन हो रहा है। शनिवार सुबह इसके समापन समारोह के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
क्या एआइ (AI) के कारण नौकरियां जाएंगी…
इस सवाल के जवाब में नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील एक वैश्विक कंपनी है और हम वैश्विक स्तर पर प्रतियोगी बन रहने के लिए उत्पादन लागत को कम करने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। भविष्य में कर्मचारियों की छटनी होगी या नहीं, इस पर नरेंद्रन ने कहा कि इस पर हम टाटा वर्कर्स यूनियन से बात करते रहते हैं। लेकिन हमें दक्ष कर्मचारी चाहिए।
जमशेदपुर में अभी आर्क फर्नेस की जरूरत नहीं
एक सवाल के जवाब में नरेंद्रन ने कहा कि टाटा स्टील ने हरियाणा के रोहतक व पंजाब के लुधियाना में आर्क फर्नेस लेकर आई है। जहां स्क्रैप को पिघलाकर स्टील का निर्माण किया जाएगा। इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस का निर्माण हम दक्षिण व पश्चिम के उन शहरों में कर रहे हैं जहां स्क्रैप है लेकिन कोल नहीं है।
क्योंकि कोल से उत्पादन से प्रति टन स्टील निर्माण में दो टन कार्बन का उत्सर्जन होता है जबकि आर्क फर्नेस से 0.2 टन का मामूली उत्सर्जन होता है। जमशेदपुर व आसपास के क्षेत्र में कोल है लेकिन स्क्रैप नहीं है इसलिए फिलहाल यहां आर्क फर्नेस की स्थापना नहीं कर रहे हैं।